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मधुबनी पेंटिंग और सुजनी कला की महारथी दिवंगत कर्पूरी देवी का अंतिम संस्कार आज Madhubani News

दिवंगत कर्पूरी देवी का अंतिम संस्कार रांटी गांव में आज बुधवार दोपहर बाद होगा। वे लंबे समय से चल रही थीं बीमार। 90 साल की अवस्था में उन्होंने ली आखिरी सांस।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 31 Jul 2019 01:46 PM (IST)Updated: Wed, 31 Jul 2019 01:46 PM (IST)
मधुबनी पेंटिंग और सुजनी कला की महारथी दिवंगत कर्पूरी देवी का अंतिम संस्कार आज Madhubani News
मधुबनी पेंटिंग और सुजनी कला की महारथी दिवंगत कर्पूरी देवी का अंतिम संस्कार आज Madhubani News

मधुबनी, जेएनएन। विश्वविख्यात मधुबनी चित्रकला और सुजनी कला की सिद्धहस्त कलाकार जिले के राजनगर प्रखंड अंतर्गत रांटी गांव निवासी दिवंगत कर्पूरी देवी का अंतिम संस्कार रांटी गांव में आज बुधवार दोपहर बाद होगा। दिल्ली से उनके पुत्र पहुंच चुके हैं, जो मुखाग्नि देंगे। सोमवार आधी रात के बाद 12 :40 बजे मधुबनी के मंगरौनी स्थित हार्ट हॉस्पीटल में 90 साल की अवस्था में उन्होंने आखिरी सांस ली थी। वे लंबे समय से बीमार चल रही थीं। 

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अपनी कला से पूरी दुनिया में धूम मचाने वाली और मधुबनी जिले को गौरव दिलाने वाली इस महान कलाकार के निधन की खबर फैलते ही यहां कला जगत और कलाप्रेमियों में शोक की लहर फैल गई है। रांटी स्थित उनके आवास पर पार्थिव शरीर का दर्शन करने वालों और श्रद्धांजलि व्यक्त करने वालों का तांता लगा है।

कला-कौशल का परचम लहराया

28 अप्रैल 1929 को मधुबनी जिले के पड़ौल गांव में उनका जन्म हुआ था। सातवीं कक्षा उत्तीर्ण और राजनगर प्रखंड के रांटी गांव निवासी कृष्णकांत दास से ब्याही कर्पूरी देवी ने बाल्यावस्था में ही अपनी माता से यहां की पारंपरिक मधुबनी चित्रकला की बारीकियां सीखीं और फिर कालांतर में अपने कला-कौशल से इसको बुलंदियों पर पहुंचाती चली गईं। वे स्थानीय सुजनी कला में भी सिद्धहस्त थीं। दो दफे अमेरिका, एक बार फ्रांस व चार मर्तबे जापान का भी भ्रमण कर उन्होंने वहां अपनी कला का परचम लहराया।

पुरस्कार और सम्मान

वर्ष 1980-81 में बिहार सरकार द्वारा श्रेष्ठ शिल्पी का राज्य पुरस्कार इन्हें प्रदान किया गया था। 1983 में बिहार सरकार ने उन्हें श्रेष्ठ शिल्पी के रूप में ताम्रपत्र और मेडल से नवाजा था। साल 1986 में भारत सरकार से उन्होंने मेरिट प्रमाण पत्र पाया।इसके अलावा भी उन्हें दर्जनों पुरस्कार, सम्मान पत्र आदि हासिल थे। 

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