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पूर्वी चंपारण : प्रसिद्ध सीताकुंड धाम का होगा सौंदर्यीकरण,वन विभाग लगाएगा सैकड़ों सीता अशोक के पौधे

SitaKund Dham East Champaran वन प्रमंडल अधिकारी ने पिपरा स्थित प्रसिद्ध सीताकुंड धाम का निरीक्षण। उन्होंने कहा प्रसिद्ध पौराणिक तीर्थ स्थल सीताकुंड धाम परिसर को अपना खोया अतीत शीघ्र ही प्राप्त होने वाला है। इस स्थान के सौंदर्यीकरण की पूरी योजना तैयार कर ली गई है।

By Murari KumarEdited By: Published: Thu, 07 Jan 2021 02:53 PM (IST)Updated: Thu, 07 Jan 2021 02:53 PM (IST)
पूर्वी चंपारण : प्रसिद्ध सीताकुंड धाम का होगा सौंदर्यीकरण,वन विभाग लगाएगा सैकड़ों सीता अशोक के पौधे
मोतिहारी। पिपरा स्थित सीताकुंड धाम की तस्वीर

मोतिहारी, जागरण संवाददाता। जिले के प्रसिद्ध पौराणिक तीर्थ स्थल सीताकुंड धाम परिसर को अपना खोया अतीत शीघ्र ही प्राप्त होने वाला है। इस स्थान के सौंदर्यीकरण की पूरी योजना तैयार कर ली गई है।परिसर के चारों तरफ वन विभाग द्वारा बड़े पैमाने पर पौधरोपण किया जाएगा। यहां सैकड़ों पौधे लगाए जाएंगे, जिसमें ज्यादातर अशोक के पौधे होंगे। उक्त जानकारी वन प्रमंडल पदाधिकारी प्रभाकर झा ने पिछले दिनों पिपरा पिपरा स्थित प्रसिद्ध सीताकुंड धाम का निरीक्षण करने के बाद दी। उन्होंने बताया कि इसके लिए गैबियन प्लांटिंग की जाएगी। इससे यह प्रसिद्ध रामजानकी स्थल और भी रमणीय बन जाएगा। मंदिर परिसर में सीता-अशोक के 200 पौधे लगाए जाएंगे। इससे मंदिर परिसर के सौंदर्य में वृद्धि होगी।

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 विदित हो कि सीता अशोक के पौधे में चार-पांच रंगों के एक साथ में फूल खिलते हैं। मंदिर परिसर के चारों ओर बाहरी क्षेत्रों में दो हजार से अधिक इमारती एवं औषधीय पौधे लगाये जाएंगे। पौधों को संरक्षित करने के लिए बांस गेबियन से घेराबंदी की जाएगी। डीएफओ ने कहा कि सीताकुंड के विकास के लिए डीडीसी एवं मनरेगा डीपीओ से विमर्श कर एक डीपीआर तैयार किया जाएगा। कुंड की उड़ाही एवं साफ-सफाई, सौंदर्यीकरण का योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया जाएगा। डीएफओ ने कहा कि पौधरोपण के लिए वनों के क्षेत्र पदाधिकारी शिवकुमार राम को निर्देशित कर दिया गया है।

सीताकुंड धाम की पौराणिकता

प्राचीन धर्मग्रंथों व जानकारों के अनुसार त्रेता युग में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम एवं माता सीता की शादी के बाद बारात जब वापस अयोध्या लौट रही थी तो मार्ग में इसी स्थल पर चौठारी की रश्म हुई थी। पवित्र  कुंड में माता सीता ने स्नान कर शिवलिंग की स्थापना कर पूजा-अर्चना की थी। माता सीता द्वारा स्थापित प्राचीन शिव लिङ्ग को गिरजानाथ महादेव के नाम से जाना जाता है।


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