सेवानिवृति के बाद भी बच्चों में जगा रहे शिक्षा के अलख
ब'चों की दिशा शिक्षक ही तय करते है। उनके बिना ज्ञान की परिकल्पना नहीं की जा सकती। स्कूल अवधि में बच्चों के बीच ही रहा।
मुजफ्फरपुर । बच्चों की दिशा शिक्षक ही तय करते है। उनके बिना ज्ञान की परिकल्पना नहीं की जा सकती। स्कूल अवधि में बच्चों के बीच ही रहा। कभी वर्ग कक्ष तो कभी लैब में उनको कैसे बेहतर शिक्षा मिले, इसके लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित डॉ. फूलगेन पूर्वे हमेशा प्रयासरत रहे है। वे मुरौल हाई स्कूल से सेवानिवृत हुए। जब तक स्कूल में रहे, वहां के पाठन-पाठन के स्तर को बढ़ाया। विज्ञान के क्षेत्र में बच्चों की रूचि बढ़े, इसको लेकर हमेशा कोशिश की। यह सेवानिवृति के बाद भी जारी है। आज भी वे कार्यक्रमों के माध्यम से उनको जागरूक करने में जुटे हैं। विभिन्न आयोजनों के बचे उपकरण एवं रसायनिक पदार्थों से अपने आवास पर नवाचार केंद्र खोल रखा है, जहां छात्र विभिन्न प्रयोग करते है। कुछ सीखते तथा कुछ नवाचार करते है। इसी का नतीजा है कि जिले के दर्जनों बच्चे राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस में अपना परचम लहरा चुके है। शिक्षा के स्तर में आएगी गिरावट
मुस्तफागंज,उत्क्रमित मध्य विद्यालय सदयकांत आलोक ने कहा कि आने वाले दिनों में अच्छे शिक्षक नहीं मिलेंगे। इसका कारण कोई भी अभिभावक अपने बच्चे को शिक्षक बनने के लिए प्रेरित नहीं करते। उनकी मंशा रहती है कि इस पेशे का वे चयन नहीं करें। मेधावी छात्र दूसरे क्षेत्र में चले जाते हे। ऐसे में शिक्षा के स्तर में गिरावट आनी तय है। शिक्षकों की समस्या सुनने वाला कोई नहीं
मीनापुर आदर्श राजकीयकृत मध्य विद्यालय, प्रधानाध्यापक, डॉ. श्यामबाबू प्रसाद ने बताया कि शिक्षकों की समस्या सुनने वाला कोई नहीं है। उनको न समय पर पैसे दिए जाते और न ही सुविधाएं। समय पर वेतन नहीं मिलता है। छह माह हो गए, लेकिन वेतन नहीं मिला। फिर भी भूखे पेट बच्चों के बीच ज्ञान बांट रहे। दूसरी ओर शिक्षकों के जिम्मे बच्चों का भोजन तैयार कराने व खिलाने तक की जिम्मेवारी है। प्रत्येक स्कूल में 200 से 800 बच्चे के भोजन तैयार होते है। सुबह से दोपहर तक समय चावल, दाल, सब्जी, मसाला व ईधन की जुगाड़ में बीत जाता है। ऐसे में शिक्षक क्या पढ़ाएंगे?
प्राथमिक विद्यालय, सुरेश कुमार ने बताया कि स्कूल में नियमित पढ़ाई होगी तो बच्चे स्कूल जाएंगे। स्कूल के शिक्षक गपशप कर घर चले जाते है। पढ़ाई नहीं होने की वजह से वे स्कूल नहीं जाना चाहते। अभिभावक पैसा खर्च कर उन्हें कोचिंग भेजते है। मध्य विद्यालय, प्रियंका कुमारी ने बताया कि स्कूल में पढ़ाई का स्तर गिरते जा रहा है। योग्य शिक्षक नहीं होने की वजह से पढ़ाई नहीं होती है। वैसे शिक्षक वर्ग कक्ष में जाना नहीं चाहते है।