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समस्तीपुर की धरती पर होगी ताइवानी पपीते की खेती, जानिए इसको लेकर की जा रही तैयारी के बारे में

रेड लेडी पपीते की एक उन्नत प्रजाति विकसित सरकार पपीते की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को 75 फीसद अनुदान पर दे रही पौधे!

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 01 Jul 2020 09:32 AM (IST)Updated: Wed, 01 Jul 2020 09:32 AM (IST)
समस्तीपुर की धरती पर होगी ताइवानी पपीते की खेती, जानिए इसको लेकर की जा रही तैयारी के बारे में
समस्तीपुर की धरती पर होगी ताइवानी पपीते की खेती, जानिए इसको लेकर की जा रही तैयारी के बारे में

समस्तीपुर, [प्रकाश कुमार]। ताइवान मूल के पपीते की उन्नत प्रजाति रेड लेडी की खेती अब समस्तीपुर में भी होगी। इसे एशियन फल-सब्जी अनुसंधान केंद्र में विकसित किया गया है। उद्यान विभाग द्वारा 20 हेक्टेयर में पपीते की उन्नत खेती का लक्ष्य रखा गया है। कम लागत में रेड लेडी की खेती से किसान आर्थिक रूप से स्वावलंबी बन सकेंगे। प्रवासी मजदूरों के लिए यह बड़ी पहल साबित होगी। खेती की बारीकियों को सिखाने के लिए किसानों को प्रशिक्षण दिया जाना है। साथ ही, पौधा लगाने से लेकर उत्पादन तक की मॉनीटरिंग होगी।

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सरकार की ओर से 75 फीसद अनुदान

साल में दो बार फरवरी-मार्च और सितंबर-अक्टूबर में पौधा लगाने का सही समय है। सरकार पपीते की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को 75 फीसद अनुदान पर पौधे दे रही। इच्छुक किसानों से ऑनलाइन के साथ-साथ ऑफलाइन आवेदन लिए जाने की प्रक्रिया चल रही। पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर योजना का लाभ दिया जाना है।

प्रति पौधा 20 रुपये की लागत

उद्यान विभाग के सहायक निदेशक ने बताया कि प्रति पौधा 20 रुपये की लागत आती है। विभाग किसानों को 75 फीसद अनुदान के बाद 6.50 रुपये प्रति पौधे के हिसाब से देगा। एक हेक्टेयर में 2500 पौधों की जरूरत पड़ती है। दो मीटर गुना दो मीटर की दूरी पर पौधे लगाए जाते हैं। 20 हेक्टेयर की खेती के लिए 50 हजार पौधा बांटने का लक्ष्य रखा गया है।

एक पौधे से 35 से 50 किलो फल

पपीते की अन्य प्रजातियों से अलग रेड लेडी काफी उन्नत किस्म है। एक पौधे से एक बार में 35 से 50 किलोग्राम तक फल मिल सकेगा। पपीते की खासियत यह है कि चार महीने के अंदर फलना शुरू हो जाता है। इसके पौधे जल्दी गलते नहीं और फल का आकार लगभग एक समान होता है।

100 फीसद फल आना तय

आमतौर पर पपीते की अन्य किस्मों में नर और मादा फूल अलग-अलग होते हैं। इससे फल न लगने की शिकायत अक्सर मिलती है। लेकिन, रेड लेडी किस्म में ऐसा नहीं है। इसमें नर व मादा, दोनों प्रकार के फूल रहते हैं। इसलिए, 100 फीसद फल लगना तय होता है। एक पौधे से तीन साल तक उत्पादन लिया जा सकता है। एक हेक्टेयर में किसान 600 क्विंटल से ज्यादा उत्पादन कर सकते हैं।

कम लागत में भी पपीते की खेती से अच्छी कमाई

समस्तीपुर के उद्यान विभाग के सहायक निदेशक अजय कुमार सिंह कहते हैं कि पपीते की खेती किसानों के लिए काफी लाभदायक है। रेड लेडी प्रजाति काफी उन्नत किस्म की है। कम लागत में भी पपीते की खेती से अच्छी कमाई की जा सकती। किसानों से आवेदन लिए जा रहे। उन्हें अनुदानित दर पर पौधे दिए जाएंगे।


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