पूर्व सांसद लवली आनंद ने कहा-चुनाव में क्षेत्रीय दल के सामने झुकी कांग्रेस
सवर्ण आरक्षण के विरोध से महागठबंधन की हार। कांग्रेस बिहार में अपने कार्यकर्ताओं के पुरुषार्थ पर नहीं बल्कि राजनीतिक दलाली के भरोसे चुनाव लड़ी।
समस्तीपुर, जेएनएन। पूर्व सांसद लवली आनंद ने कहा कि कांग्रेस बिहार में अपने कार्यकर्ताओं के पुरुषार्थ पर नहीं बल्कि राजनीतिक दलाली के भरोसे चुनाव लड़ी। नतीजा, एकमात्र सीट पर जीत सकी। राहुल गांधी के फ्रंट फुट की राजनीति की घोषणा के बाद कांग्रेस ने महाठबंधन में बने रहने के लिए सरेंडर किया। क्षेत्रीय दल के सामने घुटना टेकने से नौ सीटों पर समझौता करना पड़ा।
पत्रकारों से कहा कि पूर्व सांसद आनंद मोहन की ससम्मान रिहाई को लेकर आगामी 16 जून को सहरसा के एमएलटी कॉलेज मैदान में शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया जाएगा। इसमें एक लाख लोग शामिल होंगे। आगामी दो अक्टूबर को गांधी जयंती पर सीटों की खरीद-फरोख्त और राजनीति में धन बल के खिलाफ पटना के रङ्क्षवद्र भवन में सत्याग्रह का आगाज होगा। जहां आनंद मोहन की पुस्तक गांधी का भी लोकार्पण होगा।
मोदी के हाथों में देश सुरक्षित
लोस चुनाव में सवर्ण आरक्षण का विरोध और महागठबंधन के नेताओं का अहंकार भारी पड़ा। स्थायित्व तथा विकास की जीत हुई। बिहार आंदोलन और बदलाव की धरती है। हमने सशक्त भारत और विकसित बिहार के लिए वोट मांगा। परिणाम यह बताने के लिए काफी है कि लोग मोदी जी के हाथों देश को सुरक्षित मानते। राजद द्वारा सवर्ण आरक्षण का विरोध महागठबंधन की पराजय का मुख्य कारण बना।
महागठबंधन की 40 सीटों पर टिकट की बिक्री में 400 करोड़ से ज्यादा के काले कारोबार हुए। बिहार में कांग्रेस अगर अकेले चुनाव लडऩे का जोखिम उठाती तो मजबूत विकल्प के रूप में उभरती। लेकिन, स्वर्णिम मौका खो दिया। विस चुनाव -2020 के परिणाम भी अलग नहीं होंगे। उन्होंने पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार को बधाई दी।
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