अंधाधुंध कटाई से कम हो गया था इसका क्षेत्र, दायरा बढ़ाने के लिए हो रहा पौधरोपण
पश्चिमी चंपारण जिले के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के चलते इसका क्षेत्र कम हो गया था।
मुजफ्फरपुर। पश्चिमी चंपारण जिले के वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) में पेड़ों की अंधाधुंध कटाई के चलते इसका क्षेत्र कम हो गया था। वन क्षेत्र बढ़ाने के निर्णय के तहत खाली पड़ी कई एकड़ जमीन पर हजारों की संख्या में पौधे लगाए गए हैं। अन्य क्षेत्र में भी पौधे लगाने का निर्णय लिया गया है। इससे इस क्षेत्र से गुम से हो गए जंगली जानवर लौटे हैं। पक्षियों के कलरव से यहां एक बार फिर बहार लौट आई है।
अतिक्रमण का खतरा हुआ समाप्त 840 वर्ग किलोमीटर में फैले वीटीआर में कटाई के चलते दर्जनों एकड़ क्षेत्र वन विहीन हो गया था। इसके चलते इसका क्षेत्रफल कम होता जा रहा था। इसके मदनपुर वन क्षेत्र के ही कक्ष संख्या एक व दो में करीब एक दशक पहले शीशम के हजारों पौधे लगे थे। वन तस्करों के चलते धीरे-धीरे यह इलाका समाप्त हो गया था। इससे सूबे की इकलौती वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना पर संकट के बादल दिखने लगे थे। इसे विभाग ने काफी गंभीरता से लिया। आदेश दिया गया कि खाली पड़ी जमीन पर पौधरोपण कराया जाए। इस पर वन एवं पर्यावरण विभाग ने पौधरोपण शुरू कराया। मदनपुर वन क्षेत्र के कांटी में करीब 40 एकड़ में रेंजर आनंद कुमार की देखरेख में करीब 19 हजार पौधे लगाए गए हैं। इनमें सागवान, जामुन और अर्जुन समेत अन्य प्रजाति के पौधे शामिल हैं। अन्य क्षेत्रों को मिलाकर अब तक वीटीआर के करीब 100 एकड़ क्षेत्र में पौधरोपण हो चुका है। रेंजरों की देखरेख में अन्य वन क्षेत्रों में भी खाली जमीन पर पौधरोपण हो रहा है। इससे न सिर्फ जंगल की हरियाली लौट रही है, बल्कि जमीन पर अतिक्रमण का खतरा भी समाप्त हो गया है। लौटे जानवर और पक्षी
पौधरोपण के बाद कई जानवर फिर से मदनपुर वन क्षेत्र के कक्ष संख्या एक और दो में लौट आए हैं। इस जंगल में सूअर, हिरण, नीलगाय, मोर और खरगोशों ने अपना आशियाना बना लिया है। जानवरों की चहलकदमी और पक्षियों के कोलाहल से एक बार फिर से यह जंगल गुलजार हो गया है। वन क्षेत्र पदाधिकारी, मदनपुर वन प्रमंडल-2 आनंद कुमार का कहना है कि मदनपुर वन क्षेत्र में खाली पड़ी वन भूमि पर पौधरोपण कराया गया। पौधों की देखभाल के लिए विभाग की ओर से लगातार निगरानी की जा रही है। आने वाले दिनों में इस तरह की खाली पड़ी अन्य जमीन पर भी पौधरोपण होगा। इससे वन क्षेत्र का दायरा बढ़ेगा।