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तंत्र के गण : समस्तीपुर में पोल्ट्री लेयर फार्मिंग से मिल रहे रोजगार ने खोले समृद्धि के द्वार

सरायरंजन की अनुपम ने लेयर फार्मिंग से 30 लोगों को दिया रोजगार।कर्मियों के लिए फार्म परिसर में आवास की भी सुविधा। करीब डेढ़ एकड़ जमीन में फार्म स्थापित कर सालाना 70 से 75 लाख रुपये का कारोबार हो रहा है।

By Ajit kumarEdited By: Published: Sun, 24 Jan 2021 09:37 AM (IST)Updated: Sun, 24 Jan 2021 09:37 AM (IST)
तंत्र के गण : समस्तीपुर में पोल्ट्री लेयर फार्मिंग से मिल रहे रोजगार ने खोले समृद्धि के द्वार
फार्म में 15 श्रमिकों को स्थायी रूप से काम मिला है। फाइल फोटो

समस्तीपुर, [कुमोद प्रसाद गिरि]। पढ़ाई इंजीनियरिंग की, नाम पोल्ट्री फार्म में। कारोबार भी इस कदर कि समृद्धि के द्वार खुल गए। खुद की तरक्की के साथ आसपास के लोगों को भी रोजगार और आवास दिया। समस्तीपुर जिले के सरायरंजन बथुआ बुजुर्ग निवासी मुकेश कुमार सिंह की पुत्री अनुपम कुमारी (32) पोल्ट्री लेयर फाॄमग (अंडा उत्पादन करने वाली मुॢगयों का पालन) में नाम कमा रही हैं। कोरोना काल में जब हर ओर रोजगार को लेकर हाहाकार था। लोग बेरोजगार हो बाहर से घर लौट रहे थे, तब वे अपने यहां लोगों को रोजगार और कमाई का जरिया उपलब्ध करा रही थीं। अभी इनके फार्म में 30 से अधिक लोग रोजगार पा रहे हैं। 

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प्रतिदिन 9000 अंडे का उत्पादन

केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर चुकीं अनुपम ऐसे लोगों के लिए नजीर हैं जो पोल्ट्री लेयर फार्मिंग को घाटे का सौदा बताते हैं। करीब डेढ़ एकड़ जमीन में फार्म स्थापित कर सालाना 70 से 75 लाख रुपये का कारोबार हो रहा है। इनके फार्म में फिलहाल 10 हजार 228 मुर्गियों से प्रतिदिन 9000 अंडे का उत्पादन हो रहा है। स्थानीय से लेकर आसपास के जिलों में इसकी खपत है। वह कहती हैं कि लेयर फार्म स्थापित करने में तकरीबन एक करोड़ रुपये की लागत आई है। इसके लिए बैंक से लोन भी लिया। उक्त जमीन को लीज पर लिया है, जिसके एवज में 41000 रुपये सालाना भुगतान करती हैं।

नौकरी छोड़ कारोबार

अनुपम ने 2010 में ग्वालियर से केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। झांसी स्थित एक फॢटलाइजर कंपनी में नौकरी के दौरान एक युवा कारोबारी की प्रेरणा से गांव में पोल्ट्री लेयर फार्म खोलने का विचार किया। वर्ष 2019 में पटना में लेयर फाॄमग की तीन माह की ट्रेनिंग लेकर उसी साल लेयर फार्म की स्थापना की। अभी उनके फार्म में 15 श्रमिकों को स्थायी रूप से काम मिला है, जबकि एक दर्जन से अधिक को अस्थायी रूप से रोजगार उपलब्ध हो रहा है। इन लोगों को प्रतिमाह आठ से 10 हजार रुपये पारिश्रमिक प्राप्त होता है।

तीन शेड में बनाया गया फार्म

अनुपम बताती हैं कि पूर्णत: स्वचालित लेयर फार्म को और विस्तार देने की योजना है। इससे अन्य लोगों को भी रोजगार उपलब्ध कराया जाएगा। अभी फार्म में तीन शेड बनाए गए हैं। पहला लेयर शेड है, जहां अंडा उत्पादन करनेवाली मुॢगयों को रखा गया है। दूसरे शेड का नाम ब्रूडर है, जहां चूजों को 75 से 90 दिनों तक रखा जाता है। तीसरे शेड का नाम फीड मिल है, जहां मुॢगयों के लिए चारा (दाना) तैयार किया जाता है। कर्मियों के आवासन की व्यवस्था फार्म परिसर में की गई है, जबकि कुछ कर्मी अपने-अपने घरों से भी आते हैं। पिछले महीने पशुपालन विभाग के निदेशक कुंदन कुमार ने भी फॉर्म का निरीक्षण किया था।


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