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East Champaran: ठंड में नवजात का रखें विशेष ख्याल, शीतलहर से बचाने के लिए करें कारगर उपाय

East Champaran News रक्सौल अनुमंडल के सीमावर्ती क्षेत्रों में शीतलहर का प्रकोप बढ़ गया है।आम लोग ठंड से बचने के लिए आग और हीटर का सहारा ले रहे है।ऐसे सभी को सावधानी व सर्तकता के साथ रहना होगा।

By Murari KumarEdited By: Published: Thu, 28 Jan 2021 10:16 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jan 2021 10:16 AM (IST)
East Champaran: ठंड में नवजात का रखें विशेष ख्याल, शीतलहर से बचाने के लिए करें कारगर उपाय
रक्सौल घोड़ासहन नहर पथ पर स्थित बस पड़ाव में कूड़े कचरे जलाकर ठंढ से बचते लोग

पूर्वी चंपारण, जागरण संवाददाता। रक्सौल अनुमंडल के सीमावर्ती क्षेत्रों में शीतलहर का प्रकोप बढ़ गया है। तापमान में गिरावट के साथ-साथ पछुआ हवाओं से अनुमंडलवासियों की मुसीबतें बढ़ गयी हैं। आम लोग ठंड से बचने के लिए आग और हीटर का सहारा ले रहे है।ऐसे सभी को सावधानी व सर्तकता के साथ रहना होगा। सर्दियों में सबसे अधिक परेशानी शिशुओं व बच्चों के लालन-पालन में होती है। ठंड के मौसम में जन्म लेने वाले बच्चों के लिए खास एहतियात बरतनी चाहिए। नवजातों की प्रतिरोधक क्षमता कम रहती है। ऐसे में थोड़ी सी भी लापरवाही भारी पड़ सकती है। ठंड के समय बच्चों के शरीर के तापमान को स्थिर रखने के लिए कंगारू मदर केअर बेहद कारगर साबित होता है। वहीं, बच्चों को सुबह और शाम के दौरान घर से बाहर ले जाने से बचना चाहिए। जिससे उन्हें ठंड से बचाया जा सके।

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नवजात को अवश्य दें पहला गाढ़ा दूध 

 शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. चन्देश्वर मिश्र ने बताया कि ठंड के दौरान जन्म ले रहे शिशुओं को खास ख्याल रखने की आवश्यकता है। इस कोरोना महामारी के दौरान शिशुओं के संक्रमित होने की संभावना रहती है। शिशु को जन्म के पश्चात मां से मिलने वाला पहला आहार, माँ का पहला  गाढ़ा दूध है, जिसमें कई प्रकार के आवश्यक खनिज एवं पोषक तत्व भरपूर मात्रा में रहते हैं जो शिशु की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के साथ-साथ उनके मानसिक और शारीरिक विकास में भी मदद करता है। अपनी पोषण क्षमताओं के कारण ही यह पहला गाढ़ा दूध पीला या नारंगी रंग का होता है। जिसे नवजात का पहला टीका भी कहा जाता है, जो नवजातों को भविष्य में होने वाली कई बीमारियों से बचाता है। यह गाढ़ा दूध नवजात को कई प्रकार के रोगों से भी बचाव करता है। 

छः महीने तक अवश्य करायें स्तनपान

डॉ. मिश्र ने बताया नवजातों शिशुओं व छह माह तक के बच्चों के रोग प्रतिरोधक क्षमता में विकास के साथ उनके लिए ठंड से लड़ने में भी सहायक होता है। शिशुओं को लगातार छः महीने तक उनकी मां का दूध अवश्य मिलना चाहिए। नवजात के शरीर में हो रहे सभी प्रकार के मानसिक एवं शारीरिक विकास के लिए आवश्यक है कि उन्हें माँ का दूध मिलता रहे। इस समय नवजात केवल अपनी माँ के दूध पर ही पूरी तरह निर्भर रहते हैं। इस कोरोना महामारी के दौरान नवजातों की  प्रतिरोधक क्षमता बनाये रखने में भी मां के दूध अहम भूमिका निभाता है। गाढ़ा दूध के बाद भी माँ से मिलने वाला दूध नवजात के पोषण की सभी आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम रहता है। ऐसे में आवश्यक है कि कोराना महामारी के दौरान यदि बिना किसी बाहरी स्पर्श के मां का दूध नवजातों को मिलता है तो उनके संक्रमित होने की संभावना कम हो जाती है। साथ ही उनका पोषण भी संतुलित रहता है।

कोविड- 19 के नियमों का पालन अनिवार्य :

  • नवजातों सहित मां को बाहरी लोगों से दो गज की शारीरिक दूरी बनाए रखना चाहिए।
  • किसी भी प्रकार से संक्रमित व्यक्ति के आस-पास न जायें।
  • हाथों की सफाई साबुन या  सैनिटाइजर से नियमित समय के अंतर से करते रहें।
  • अपने आस-पास बिना मास्क पहने किसी को आने न दें एवं स्वयं भी मास्क का उपयोग करें।

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