ऑनलाइन से ट्रैक पर लौट रहा स्वीट्स कारोबार
कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन ने स्वीट्स व नमकीन सेक्टर को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। अचानक हुए लॉकडाउन से दुकानदारों के पास तैयार लाखों की सामग्री बर्बाद हो गई।
मुजफ्फरपुर। कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन ने स्वीट्स व नमकीन सेक्टर को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। अचानक हुए लॉकडाउन से दुकानदारों के पास तैयार लाखों की सामग्री बर्बाद हो गई। वहीं, कच्चा माल भी कुछ दिनों में ही खराब हो गया। अधिकतर दुकानदार ऑफलाइन ही दुकान संचालित कर रहे थे। ऐसे में उनके सामने बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई। करीब चार महीने में इस व्यवसाय में करोड़ों का नुकसान हुआ। दुकान खुलने के समय में बार-बार फेरबदल होने से ग्राहक पहुंच नहीं रहे थे। मोतीझील स्थित वैशाली पेस्ट्री शॉप के संस्थापक गोविद प्रभात बताते हैं कि शहर में उनकी दुकान के चार आउटलेट हैं। ये वैशाली बेकर्स एंड स्वीट्स जीरोमाइल, वैशाली पेस्ट्री कलमबाग, वैशाली स्वीट्स भगवानपुर व मोतीझील में हैं। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में करीब 15 लाख का कच्चा माल और तैयार सामग्री बर्बाद हुई। इससे उबरने में आठ-10 महीने तो लग ही जाएंगे। बताया कि ग्राहकों को विश्वास दिलाने के लिए कई प्रकार के उपाय किए। ग्राहक बाहर से कुछ भी मंगाकर खाने से परहेज कर रहे थे। ऐसे में उन्हें सोशल मीडिया से विश्वास दिलाया कि यहां के कर्मी पूरी तरह सुरक्षा मानकों का ख्याल रखते हुए सामग्री तैयार कर रहे हैं। साथ ही ग्राहकों की सुविधा को देखते हुए केक व अन्य स्वीट्स की होम डिलीवरी भी शुरू कराई। अब कारोबार धीरे-धीरे ट्रैक पर लौट रहा है। लेकिन, अभी दुकान पर पहले जैसी भीड़ नहीं दिखती। सोशल साइट्स पर जानकारी के माध्यम से भी ग्राहक दुकान तक पहुंच रहे हैं।
कारखाना और दुकान को प्रतिदिन कराते सैनिटाइज : गोविद प्रभात ने बताया कि कोरोना काल में ग्राहकों और खुद की सुरक्षा को देखते हुए काम शुरू करने से पहले कारखाना को पूरी तरह सैनिटाइज किया जाता था। साथ ही दुकान खुलने के बाद दीवार से लेकर काउंटर तक सभी पर सैनिटाइजर का छिड़काव कराया जाता था। ये प्रक्रिया अभी जारी है। सभी कर्मी मास्क लगाकर ही कार्य करते हैं। ग्राहकों को भी सुरक्षा नियमों का पालन करने के लिए जागरूक किया जाता है।
सप्लाई प्रभावित होने से बढ़ी परेशानी : लॉकडाउन अवधि में मैदा, सूजी और आटा के अलावा किसी भी सामान की आपूर्ति नहीं हो पा रही थी। इससे कारोबार पर प्रभाव पड़ा। अब भी सामग्री की आपूर्ति आसानी से नहीं हो पा रही है।
समाप्ति तिथि कम होने से लाखों का माल हो गया खराब : स्वीट्स और नमकीन के क्षेत्र में ग्राहकों की सेहत का विशेष ख्याल रखना होता है। यही कारण है कि दुकानदारों के पास पड़े स्टॉक में से लाखों मूल्य के सामान समाप्ति तिथि बीत जाने से बर्बाद हो गए। गोविद प्रभात बताते हैं कि लॉकडाउन के समय कई ऐसे सामान दुकान में थे, जिनकी एक्सपायरी तीन महीने बाद हो रही थी। साथ ही कई प्रोडक्ट ऐसे होते हैं जो पैक करने के बाद करीब दो या तीन महीने तक ही प्रयोग में लाए जा सकते हैं। करीब चार महीने तक लॉकडाउन रहने से इस व्यापार पर काफी प्रभाव पड़ा। लाखों मूल्य का माल कचरे के ढेर पर फेंकना पड़ा। फिर से नया सामान मंगाकर दुकान की शुरुआत की। साथ ही ग्राहकों का रुझान भी कम था। इससे दोतरफा मार का सामना करना पड़ा है। अब करीब एक महीने से 35 से 40 फीसद तक कारोबार ट्रैक पर आ गया है।
ऑर्डर का पैसा किया वापस : लॉकडाउन के पहले कई ग्राहकों ने केक, पेस्ट्री, स्वीट्स व अन्य सामग्री का ऑर्डर दिया था। लेकिन, इसके बाद से अधिकतर लोगों ने बाहर से बनी सामग्री खाने से परहेज करना शुरू कर दिया। ऐसे में कई ऐसे ग्राहक थे जिन्हें उनका भुगतान किया हुआ पैसा वापस करना पड़ा।
सामग्री वापस करने पर रोक : चॉकलेट समेत कई ऐसी सामग्री हैं, जिसे पहले ग्राहक लेकर जाते और बाद में फेरबदल करते। लेकिन, अब इसे पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। ग्राहकों को पसंद की सामग्री ही लेने के लिए कहा जाता, ताकि बदलने की जरूरत नहीं हो।
सुरक्षा मानकों का रखा जाता ख्याल : ग्राहकों की सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा जाता है। दुकान के मुख्य द्वार पर ही प्रशासन की ओर से कोरोना को लेकर जारी गाइडलाइन को चस्पा किया गया है। साथ ही ग्राहकों को प्रवेश करने के साथ ही हैंडवास से हाथ धोने के बाद ही सामग्री दी जाती है। मास्क लगाकर आना अनिवार्य है।
मेला पर रोक से मायूसी : गोविद बताते हैं कि इस नुकसान से उबरने के लिए इस त्योहारी सीजन से काफी उम्मीद थी। खासकर दुर्गापूजा में मेला में लोग आते तो दुकान की बिक्री बढ़ती और इससे घाटा से जल्दी उबरा जा सकता था। लेकिन, प्रशासन ने मेला पर रोक लगा दी है। इससे इस व्यवसाय से जुड़े लोगों में मायूसी है।
अब ऑनलाइन कारोबार की तैयारी : इस प्रकार की परिस्थिति कभी आए तो इससे निपटने के लिए गोविद प्रभात अपने व्यापार को ऑनलाइन ला रहे हैं। कहा कि सोशल साइट्स से ऑर्डर आ रहे हैं। साथ ही वहां से नंबर लेकर काफी लोग कॉल कर ऑर्डर दे रहे हैं। ऐसे में अब इस व्यवसाय को ऑनलाइन लाने की योजना है। इससे ग्राहकों को भी अपने लजीज व्यंजन घर बैठे ऑर्डर करने पर मिल सकेंगे।
डिजिटल पेंमेंट में आई तेजी : ग्राहकों में डिजिटल पेमेंट के प्रति जागरूकता बढ़ी है। अब ग्राहक कैश का लेनदेन करने से बच रहे हैं। पहले जहां 20 से 25 फीसद ग्राहक ही ऑनलाइन या कार्ड से भुगतान करते थे। अब इनकी संख्या बढ़कर 40 फीसद हो गई है। अधिकतर ग्राहक मोबाइल से ही क्यूआर कोड स्कैन कर भुगतान कर देते हैं।