अचला सप्तमी पर सूर्य को दीप दान है उत्तम फलदायी
अचला सप्तमी कल वर्षभर की सभी सप्तमी तिथि में है सर्वश्रेष्ठ। होगी भगवान सूर्य की पूजा। भविष्य पुराण में इसे वर्षभर की सप्तमी में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को अचला सप्तमी के नाम से जाना जाता है। इस बार यह मंगलवार को है। भविष्य पुराण में इसे वर्षभर की सप्तमी में सर्वश्रेष्ठ कहा गया है। पं.प्रभात मिश्र बताते हैं कि इस दिन जो व्यक्ति भगवान सूर्य की पूजा कर एक समय मीठा भोजन अथवा फलाहार करता है, उसे पूरे साल सूर्य पूजा करने का पुण्य प्राप्त होता है।
यह व्रत सौभाग्य, रूप और संतान सुख प्रदान करने वाला है। इस दिन प्रात:काल सूर्योदय के पूर्व किसी पवित्र नदी अथवा जलाशय में स्नान कर सूर्य को दीप दान करना उत्तम फलदायी माना गया है। इस संदर्भ में एक कथा है कि एक गणिका ने जीवन में कभी कोई दान-पुण्य नहीं किया था। उसे जब अपने अंत समय का ख्याल आया तो वह वशिष्ठ मुनि के पास गयी। उनसे अपनी मुक्ति का उपाय पूछा।
मुनि ने बताया कि माघ मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन तड़के सुबह ब्रह्म मुहूर्त में स्थिर जल में स्नान किया जाए और सूर्य को दीप दान करें तो काफी पुण्य मिलता है। गणिका ने मुनि के बताए अनुसार अचला सप्तमी का व्रत किया। जिससे शरीर त्याग करने के बाद उसे स्वर्ग लोक की अप्सराओं के प्रधान बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।