हड़ताल से डीएमसीएच में स्वास्थ्य सेवा प्रभावित, विरोध के बावजूद गायनिक का ओपीडी हुआ चालू
इमरजेंसी में लटका है ताला। गायनिक ओपीडी में शुरू हुई चिकित्सा। जूनियर डॉक्टरों ने यहां काम चालू होने की जानकारी मिलते ही पहुंचकर विरोध किया।
By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 01:19 PM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 01:19 PM (IST)
दरभंगा, जेएनएन। डीएमसीएच में पीजी छात्रों की हड़ताल से मंगलवार को दूसरे दिन भी स्वास्थ्य सेवा प्रभावित है। इमरजेंसी एवं सामान्य ओपीडी में ताला लटका है। जबकि गायनिक वार्ड की ओपीडी चालू है। हालांकि जूनियर डॉक्टरों ने यहां काम चालू होने की जानकारी मिलते ही पहुंचकर विरोध किया। कुछ देर के लिए काम बाधित हुआ। लेकिन उनके जाते ही डॉ. आशा झा, डॉ. सीमा प्रसाद, डॉ. मायाशंकर ठाकुर ने मरीजों की चिकित्सा शुरू कर दी। गायनिक वार्ड में दोपहर डेढ़ बजे तक 50 नए मरीजों का निबंधन हुआ।
20 पुराना पुर्जा देखा गया। मरीजों में फल व भोजन का वितरण हुआ। कुशेश्वरस्थान की शैल देवी की बच्चेदानी का ऑपरेशन किया गया। कमतौल से पहुंची प्रसूता किरण देवी को रात का समय देते हुए भर्ती कर लिया गया है। इधर, सुबह से ही जूनियर डॉक्टर इमरजेंसी के पास बरामदे पर जमे हैं। जेडीए के अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार गुप्ता ने बताया कि जब तक मांगें नहीं मानी जाती है, हड़ताल जारी रहेगा।
इनकी मांगों में बिहार राज्य कोटा की सीटों पर एम्स के छात्रों का नामांकन पर रोक लगाने, आइजीआइएमएस की तर्ज पर पीजी के स्टाइपेंड 5 लाख 5 हजार 560 हजार से बढ़ाकर 70, 80 और 90 हजार मासिक करने, सीनियर रेजिडेंट की अधिकतम उम्र सीमा को बढ़ाकर 45 साल करने और पीजी डिग्री के बाद तय तीन साल के बांड को सीनियर रेजिडेंट में करने तथा इनकी पोस्टिंग मेडिकल कॉलेज में ही करने शामिल है।
20 पुराना पुर्जा देखा गया। मरीजों में फल व भोजन का वितरण हुआ। कुशेश्वरस्थान की शैल देवी की बच्चेदानी का ऑपरेशन किया गया। कमतौल से पहुंची प्रसूता किरण देवी को रात का समय देते हुए भर्ती कर लिया गया है। इधर, सुबह से ही जूनियर डॉक्टर इमरजेंसी के पास बरामदे पर जमे हैं। जेडीए के अध्यक्ष डॉ. अमित कुमार गुप्ता ने बताया कि जब तक मांगें नहीं मानी जाती है, हड़ताल जारी रहेगा।
इनकी मांगों में बिहार राज्य कोटा की सीटों पर एम्स के छात्रों का नामांकन पर रोक लगाने, आइजीआइएमएस की तर्ज पर पीजी के स्टाइपेंड 5 लाख 5 हजार 560 हजार से बढ़ाकर 70, 80 और 90 हजार मासिक करने, सीनियर रेजिडेंट की अधिकतम उम्र सीमा को बढ़ाकर 45 साल करने और पीजी डिग्री के बाद तय तीन साल के बांड को सीनियर रेजिडेंट में करने तथा इनकी पोस्टिंग मेडिकल कॉलेज में ही करने शामिल है।
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