खेती-बाड़ी: भूसे को यूरिया से करें उपचारित, आ जाती प्रोटीन की मात्र Samstipur News
साधारण तौर पर भूसा में नहीं होता प्रोटीन उपचारित होने से आ जाते पौष्टिक तत्व मवेशी चाव से खाते और बढ़ जाता शारीरिक विकास। जानिए कृषि विशेषज्ञ की सलाह
समस्तीपुर (पूसा), जेएनएन। गेहूं की कटाई के बाद खाली पड़े खेत में मवेशियों के चारे के लिए ज्वार की प्रजातियों की बोआई करें। बाजार से अच्छी प्रजाति के बीज की खरीद कर सकते हैं। इसके अलावा किसान मूंग के साथ भी जनेरा आदि की बोआई कर सकते हैं। ये सभी हरा चारा के रूप में उपयुक्त हैं। ये सुझाव डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विवि, पूसा के तहत कृषि विज्ञान केंद्र बिरौली के कार्यक्रम समन्वयक डॉ. आरके तिवारी ने दिए। वे खेतीबाड़ी कार्यक्रम में भूसे को उपचारित करने समेत अन्य चारा के बारे किसान बंधुओं को टिप्स दे रहे थे। उनका कहना है कि बेहतर चारे के लिए खाद और उर्वरक की मात्र दो किलोग्राम प्रति कट्ठे के हिसाब से डीएपी जोत के समय ही खेत में मिला दें।
गेहूं के भूसे को ऐसे करें उपचारित
भूसे को यूरिया से उपचारित करने पर इसमें प्रोटीन की मात्र आ जाती है। इससे मवेशी के स्वास्थ्य के साथ दूध में भी बढ़ोतरी होती है। 40 लीटर पानी में दो से तीन किलोग्राम यूरिया अच्छी तरह मिला दें। इससे 100 किलो भूसे को उपचारित करें। भूसा भंडारण से पूर्व जब अपने भंडार में रखते हैं तो परत पर परत या यूरिया घुले पानी का छिड़काव करते रहें। छिड़काव के बाद भूसे को पन्नी से ढंक दें।
21 दिनों बाद एक किनारे से भूसे को निकाल कर उसे थोड़ी देर छाया में छोड़ दें। इसके बाद पशु को चारे के रूप में दें। यह काफी लाभदायक होगा। इससे भूसे में प्रोटीन की मात्र आ जाएगी। मवेशी इसे बड़े ही चाव से खाएंगे। उसका शारीरिक विकास भी होगा। जबकि, वैज्ञानिक का कहना है कि ऐसे में साधारण तौर पर भूसे में प्रोटीन की मात्र नहीं के बराबर होती है। उपचारित कर लेने पर प्रोटीन की मात्र आ जाती है।