Coronavirus : COVID-19 : क्वारंटाइन सेंटरों पर मापदंडों की हो रही अनदेखी, जैसे-तैसे रह रहे प्रवासी
Coronavirus COVID-19 210 लोग क्वारंटाइन सेंटरों पर रह रहे। सुविधा नहीं मिलने के कारण दूसरे प्रदेशों से आए कई लोगों ने होम क्वारंटाइन में ही रहना उचित समझा।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Coronavirus से बचाव व रोकथाम के लिए दूसरे प्रदेशों से लाए लोगों को प्रशासन के आदेश पर जिले के विभिन्न जगहों पर क्वारंटाइन सेंटरों में रखा जा रहा है। प्रशासन की तरफ से निगरानी के साथ क्वारंटाइन सेंटरों में रहने वालों को मुफ्त भोजन व अन्य सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। लेकिन, प्रशासन के दावे के बीच कई सेंटरों में लोग जैसे-तैसे रह रहे हैं। निर्धारित मापदंड का पूरी तरह से पालन नहीं किया जाता है। सुविधाएं बहाल नहीं होने से वहां रहने वाले लोगों को परेशानी भी होती है। इस कारण कई लोगों ने होम क्वारंटाइन में ही रहना उचित समझा।
सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रहीं
दैनिक जागरण की पड़ताल में पता चला कि सकरा प्रंखड के विशुनपुर बघनगरी स्थित उच्चतर विद्यालय में 20 वैसे लोग रह रहे हैं जो दूसरे राज्यों से आए हैं। इन सभी लोगों के लिए पंचायत स्तर से भोजन सहित अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। पंचायत के मुखिया राजेश कुमार ने बताया कि सभी लोगों को जरूरत की सभी सुविधाएं दी जा रही हैं। प्रखंड के डिहुली इश्हाक पंचायत अंतर्गत विद्यालय में भी दूसरे प्रदेश से आए पांच लोग रह रहे हैं। पंचायत की मुखिया सोना देवी एवं पूर्व प्रमुख अनिल कुमार राम सेंटर में रहने वाले लोगों को सभी सुविधाएं मुहैया कराने की बात कह रहे हैं।
चिकित्सकों द्वारा जांच की जा रही
इधर, मुरौल के चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. ज्योति प्रसाद सिंह ने बताया कि मुरौल प्रखंड की सभी पंचायतों में क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए हैं जिनमें मध्य विद्यालय इटहा एवं खासपट्टी में 10 लोग रह रहे हैं। सभी लोगों की समय -समय पर चिकित्सकों द्वारा जांच की जाती है। पंचायत के मुखिया सच्चिदानंद सुमन ने बताया कि यहां रह रहे लोगों को सभी आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
कुढनी में कोई सुविधा नहीं
इधर, कुढनी प्रखंड के पूर्वी भाग मनियारी क्षेत्र में भी सभी पंचायतों में क्वारंटाइन सेंटर हैं परंतु कोई सुविधा नहीं है और न ही कोई रहने वाला ही है। पूर्व मुखिया प्रतिनिधि प्रमोद शर्मा बताते हैं कि मनियारी अस्पताल में भी क्वारंटाइन सेंटर बनाया गया है। शुरुआती दौर में दूसरे प्रदेशों से लौटने वाले सभी को चिह्नित करते हुए यहां रखा जाता था। परंतु रहने व खाना-पीना समेत अन्य व्यवस्था नहीं मिलने के कारण लोगों ने होम क्वारंटाइन में रहना ही उचित समझा। स्थानीय एएनएम व चिकित्सक बताते हैं कि कोरोना से संबंधित जांच का कोई उपकरण नहीं है। सिर्फ मौखिक पूछताछ कर सभी को 14 दिनों तक होम क्वारंटाइन में रहने की सलाह देकर भेज देते हैं।
साहेबगंज के क्वारंटाइन सेंटर पर नहीं दिखा कोई
साहेबगंज प्रखंड के अंतर्गत विभिन्न विद्यालयों में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर पर कहीं कोई नहीं दिखा। जबकि दिल्ली ,पंजाब ,असम, मुंबई सहित नेपाल से आने वाले कई प्रवासी मजदूरों का यहां आना हुआ है।
बता दें कि प्रशासन के आदेश पर सभी पंचायतों में क्वारंटाइन सेंटर खोले गए हैं जहां दूसरी जगहों से आए लोगों को 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन कराया जाता है। डीपीआरओ कमल सिंह ने कहा कि जिले के विभिन्न क्वारंटाइन सेंटरों में वर्तमान में 210 लोग रह रहे हैं। प्रशासन की तरफ से निगरानी रखी जा रही है। सभी को मुफ्त में भोजन की व्यवस्था की गई है।
कर्मियों की तैनाती की गई
जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि जिले की सभी पंचायतों के एक-एक स्कूल में क्वारंटाइन सेंटर खोला गया हैं। इसके अलावा सदर अस्पताल के मातृ शिशु भवन में 100 बेड सहित कुल 457 क्वारंटइान सेंटर जिले में चल रहे हैं। यहां रहने वाले लोगों की देखभाल के लिए कर्मियों की तैनाती की गई है। निगरानी के लिए पदाधिकारी भी तैनात हैं। क्वारंटाइन सेंटर में रहने वाले लोगों को जरूरत की सभी सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं।