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अशिक्षा के खिलाफ जंग, गरीब बच्चों की पढ़ाई का उठा रहीं खर्च

दरभंगा से प्रतिवर्ष आती हैं बगहा। भरती हैं दो दर्जन बच्चों के स्कूल की फीस। उनके प्रयास से शिक्षित बच्चों ने हासिल किया है महत्वपूर्ण पद।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 08:58 AM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 08:58 AM (IST)
अशिक्षा के खिलाफ जंग, गरीब बच्चों की पढ़ाई का उठा रहीं खर्च
अशिक्षा के खिलाफ जंग, गरीब बच्चों की पढ़ाई का उठा रहीं खर्च

पश्चिम चंपारण, [मो. अब्बु साबीर]। पश्चिम चंपारण के बगहा शहर की अरुणा कुमारी अशिक्षा के खिलाफ जंग लड़ रही हैं। इस क्रम में उन्होंने गरीब बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाने का फैसला किया है। वर्तमान में दो दर्जन से अधिक गरीब बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठा रहीं। बगहा के नवकी बाजार निवासी स्व. अरुण कुमार की पुत्री अरुणा का विवाह 1981 में दरभंगा में हुआ। शादी के बाद भी बगहा से उनका जुड़ाव बना रहा और होटल व्यवसायी पति सुधीर कुमार गानी भी इस काम में उनका साथ देते हैं।

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   कहती हैं कि पूर्वजों ने शिक्षा दी थी कि यदि मौका मिले तो गरीबों की मदद करनी चाहिए। इसलिए मौका मिलते ही मायके पहुंची और मोहल्ले के करीब दर्जन भर वैसे गरीब बच्चों को चिह्नित किया जो कभी स्कूल नहीं गए थे। उनके अभिभावकों से बात की और इनका नामांकन प्राइवेट स्कूलों में करा दिया। अरुणा ने बच्चों की फीस जमा करने के साथ स्कूल ड्रेस, किताबें और कॉपियां भी खरीद दीं। 1990 में यह क्रम आरंभ हुआ जो आज भी जारी है।

अरुणा के प्रयास से शिक्षा की मुख्य धारा से जुड़े कई बच्चों ने ऊंची तालीम हासिल की और सरकारी पदों तक पहुंचे। केवल बगहा ही नहीं वरन अपने ससुराल में भी उन्होंने अभियान की शरुआत की है। उनके प्रयास से कई बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

बदल गईं कई जिंदगियां

अरुणा की पहल पर विद्यालय जाने वाले बगहा के मिथलेश कुमार टाटा में सेल टैक्स कमिश्नर पद पर आसीन हैं। वहीं आशीष कुमार बंधन बैंक कोलकाता में कार्यरत हैं। रोहित कुमार, सुनील कुमार, ज्ञानदेव कुमार, सुरेश गुप्ता आदि भी पढ़ाई पूरी कर प्राइवेट कंपनियों में नौकरी कर रहे हैं। फिलहाल अरुणा के प्रयास से कई बच्चे नगर के प्रतिष्ठित स्कूलों में अध्ययनरत हैं। कुछ अन्य बच्चे दूसरे विद्यालयों में पढ़ रहे हैं।

आजीवन रहेगा बगहा से नाता

अरुणा के पुत्र प्रशांत और पुत्री प्रगति चिकित्सक हैं। वे बताती हैं कि मुझे जीवन में वो मिला, जिसकी तमन्ना हर किसी को होती है। पति इंटरनेशनल होटल व्यवसायी हैं। दोनों बच्चे समाज की सेवा कर रहे हैं। यह सबकुछ पूर्वजों के आशीर्वाद से ही संभव हुआ है। मैं आजीवन बगहा से जुड़ी रहूंगी और यहां के वंचित बच्चों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩे का प्रयास करती रहूंगी।

   बगहा नप की सभापति जरीना खातून ने कहा कि आज सफल होने के बाद लोग अपनों को भूल जाते हैं। वहीं अरुणा समाज को आगे बढ़ा रही हैं। उनके प्रयास से कई बच्चे सफल हुए हैं। सभी सफल लोगों को उनका अनुकरण करना चाहिए।


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