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जैविक खेती में पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहा सोनू, लहलहा रही बैगन, नींबू व केला की फसल Muzaffarpur News

Organic farming in Muzaffarpur दुर्घटना में पिता की मौत पर विरासत बचाने आगे आया सकरा का सोनू। आसपास के गांवों के युवा किसानों का समूह भी बना रखा।

By Ajit KumarEdited By: Published: Mon, 23 Dec 2019 02:23 PM (IST)Updated: Mon, 23 Dec 2019 02:23 PM (IST)
जैविक खेती में पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहा सोनू, लहलहा रही बैगन, नींबू व केला की फसल Muzaffarpur News
जैविक खेती में पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहा सोनू, लहलहा रही बैगन, नींबू व केला की फसल Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। सकरा प्रखंड के मछही गांव के सोनू निगम की उम्र मात्र 19 साल है। इस उम्र में वह खेती-किसानी को चुना है। सोनू अपने पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहा है। उसके पिता दिनेश कुमार की पहचान जैविक विधि से खेती करने वाले किसानों में अव्वल था। एक दुर्घटना में उनकी मौत हो गई। इसके बाद सोनू ने अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा करने का मन बनाया। आज उसकी खेतों में जैविक विधि से बैगन, नींबू व केला की फसल लहलहा रही है। उसने आसपास के गांवों के युवा किसानों का समूह भी बना रखा है। उसकी प्रेरणा से इस समूह में लगातार किसान जुड़ रहे हैं।

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सोनू कहते हैं कि जैविक खेती का गुर उसने अपने पिता से सीखा है। उसके पिता जैविक खेती के प्रबल पक्षधर थे। बिहार, हरियाणा व दिल्ली सरकार की ओर से उन्हें इसके लिए सम्मानित भी किया गया था। पिता की अचानक मौत से पहले तो पूरा परिवार सदमे में आया फिर उनके सपनों को पूरा करने के लिए सभी एकजुट हो गए। सोनू कहता है कि जैविक विधि से खेती में कम खर्च आता है। रासायनिक खाद व कीटनाशी से सब्जियां व अनाज जहरीला हो जाता है।

इंद्रधनुषी हो कृषि, कम हो कृषि लागत

मुजफ्फरपुर बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट एमबीआरआइ के संस्थापक व प्रगतिशील युवा किसान अविनाश कुमार कहते हैं कि कृषि इंद्रधनुषी हो। इस तरह का शोध हो कि कृषि लागत कम हो। जब कृषि लागत कम होगी तो किसानों की आय बढ़ेगी। कृषि के साथ साथ पशुपालन, मत्स्य पालन, मुर्गी पालन निरंतर इंद्रधनुषी क्रांति को लेकर शोध कार्य किए जाएं। मछली की आमुर कार्प जैसे प्रजाति जो संतुलित आहार देने से 3-4 माह में एक किलोग्राम वजन का जाता है। यह किसानों को आय बढ़ाने में सहायक होगा। बकरी, गाय और अन्य पशुओं की नस्ल सुधार को लेकर भी शोध हो। फल के क्षेत्र में उन्नत तकनीक जैसे टिश्यू कल्चर, ग्राफ्टिंग टेक्नोलॉजी, हाइड्रोपोनिक टेक्नोलॉजी जैसे शोध किसानों के आय बढ़ाने में सहायक हो सकता है। 


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