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आंखों में रोशनी लौटने से पहले बुझ गया मां का 'चिराग'

पश्चिम चंपारण के लौकरिया अरसदपुर के कीमा राम की सदर अस्पताल में मौत, मां की आंखों के ऑपरेशन के लिए आया था आई हॉस्पीटल।

By Ajit KumarEdited By: Published: Wed, 19 Dec 2018 12:35 AM (IST)Updated: Wed, 19 Dec 2018 12:35 AM (IST)
आंखों में रोशनी लौटने से पहले बुझ गया मां का 'चिराग'
आंखों में रोशनी लौटने से पहले बुझ गया मां का 'चिराग'

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। वह मां के जीवन को रोशन करना चाहता था। पथराई आंखों में आशा की किरण भरना चाहता था। लेकिन, नियति को यह कहां मंजूर था, निगोरी मौत ने कस कर उसे आगोश में भर लिया। और उस मां का चिराग बुझ गया, रोशनी से पहले। शेष रह गया अंधेरा...। ठीक से नहीं देख पाई अपने लाल का चेहरा, आंखों पर पट्टी जो थी।

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दवा से हुई थी राहत, फिर बिगड़ी तबीयत

पश्चिम चंपारण के लौकरिया अरसदपुर के कीमा राम (50) ने अपनी मां को आंख के ऑपरेशन के लिए आई हॉस्पीटल में भर्ती कराया। रविवार को मां का ऑपरेशन किया गया। वह रात में अस्पताल कैंपस में ही सो गया। सोमवार की सुबह कीमा की तबीयत अचानक बिगड़ गई। आसपास से कुछ दवा लेकर खाई तो थोड़ी राहत हुई। शाम को उसकी तबीयत ज्यादा बिगड़ गई। अस्पताल में ही वह लेट गया। बोलना भी बंद कर दिया। बात प्रबंधन तक पहुंची। सहायक प्रशासक दीपक कुमार ने उसे एंबुलेंस से सदर अस्पताल ले जाकर भर्ती कराया। वहां उसका इलाज चल रहा था। मंगलवार सुबह उसकी मौत हो गई। अस्पताल में भर्ती मरीजों ने बताया कि उसके पास ठंड से बचने के लिए पर्याप्त कपड़े भी नहीं थे। आई हॉस्पीटल प्रबंधन ने ही उसे कंबल दिया था। उसकी मां परिवार के अन्य सदस्यों के साथ घर चली गईं।

करीब पांच घंटे तक पड़ा रहा शव

कीमा का शव करीब पांच घंटे तक सदर अस्पताल में पड़ा रहा। न किसी की नजर, न ही किसी का ध्यान। सुबह नौ बजे तक अस्पताल प्रबंधन की ओर से एंबुलेंस नहीं उपलब्ध कराई गई। अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि सदर अस्पताल की एंबुलेंस सोमवार को अचानक खराब हो गई थी। इधर, सदर अस्पताल प्रबंधक प्रवीण कुमार ने बताया कि एंबुलेंस कर्मियों की हड़ताल के कारण परेशानी है। बावजूद इसके एंबुलेंस की व्यवस्था हो रही थी। इस बीच परिजन अपनी व्यवस्था कर शव लेकर चले गए।


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