किसानों को रास नहीं आया ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन, अब तक मात्र 528 किसानों ने कराया पंजीयन
धान की खरीदारी नगण्य, लक्ष्य ढाई गुना, सूखाग्रस्त जिले में धान खरीद का बढ़ा दिया गया लक्ष्य, कुल उत्पाद का तीन चौथाई धान खरीद चुके बिचौलिए।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। जिले में धान खरीद की स्थिति में पेच दर पेच फंसा हुआ है। सरकार की ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य करने की नीति किसानों को रास नहीं आई। वहीं, जब धान बेचने के लिए किसान तैयार थे, उस समय क्रय केंद्र खुले नहीं थे और अब सब कुछ है। तो धान खरीद नहीं हो पा रही। जिले में कुल 2.84 लाख एमटी धान की पैदावार हुई है। सितंबर 18 से शुरू हुई आनॅलाइन रजिस्ट्रेशन के तहत 15 दिसंबर तक 528 किसानों ने ही पंजीयन कराया है।
पिछले साल तक धान खरीद का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य नहीं था। उस समय एलपीसी, रसीद, बैंक खाता किसान का आवश्यक था। लेकिन, वर्ष 2018-19 में धान खरीद के लिए भी किसानों का ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया गया। सितंबर 18 से ही रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है। कम संख्या में किसानोंं के द्वारा रजिस्ट्रेशन में रुचि नहीं लेना भी चौंकाने वाला है।
लक्ष्य बढ़ोतरी का कोई लाभ नहीं
धान खरीद की तैयारी अब पूरी हुई। सरकार ने किसानों को लाभ देने के लिए 52 हजार टन से बढ़ाकर 1.32 लाख टन लक्ष्य कर दिया है। सूखाग्रस्त जिला में लक्ष्य वृद्धि हो गई। लेकिन, धान खरीद का कोई अता-पता नहीं है। 15 दिसंबर तक धान खरीद की पुरानी रिपोर्ट ही पारू व औराई में 90- 90 क्विंटल ही बरकरार है।
का बरसा जब कृषि सुखानी
धान खरीद की स्थिति पर यह कहावत चरितार्थ होती है - का बरसा जब कृषि सुखानी। किसानों को गेहूं की बोआई और अन्य घरेलू काम करने थे। इसलिए क्रय केंद्रों के खुलने में देरी से उन्होंने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए धान बेच दिया।
अधिकतर धान की बिचौलिए कर चुके खरीद
जिला पैक्स संघ के अध्यक्ष वीरेंद्र राय का कहना था कि सरकार को एक नवंबर से पूरी व्यवस्था कर धान खरीद करानी चाहिए। लेकिन, यहां तो 15 नवंबर तिथि निर्धारित की और उसमें भी लगभग एक माह तक किसान को किसी प्रखंड में क्रय केंद्र खुला नहीं मिला। अब बिचौलिए कुल धान का दो तिहाई किसानों से खरीद चुके हैं। शेष एक तिहाई धान बेचनेवाले अधिकतर किसान ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाए।
लिहाजा, वे खामोश बैठे हैं। जिला सहकारिता पदाधिकारी ललन कुमार शर्मा ने कहा कि धान खरीद में सुस्ती की मुख्य वजह 17 फीसद ही नमी पर खरीद होना है। सभी प्रखंड सहकारिता पदाधिकारियों को धान खरीद में तेजी लाने के प्रयास करने के निर्देश दिए जाएंगे।