स्मार्ट सिटी में सफाई बेहाल, सड़क किनारे कूड़े का अंबार
स्मार्ट सिटी का दर्जा प्राप्त कर चुके शहर में सफाई के वादे को कूडे़ में डाल दिया गया है।
मुजफ्फरपुर : स्मार्ट सिटी का दर्जा प्राप्त कर चुके शहर में सफाई के वादे को कूडे़ में डाल दिया गया है। नगर निगम कार्यालय से महज सौ मीटर की दूरी पर सरकारी बस स्टैंड एवं रेलवे स्टेशन के बीच माल गोदाम रोड पर कूड़े का अंबार लगा है। यहां 10 टन कचरा जमा है। शहर के कई इलाकों का कचरा यहां लाकर डाल दिया गया है। यह एक दिन की बात नहीं रोजाना हो रहा है।
बीच सड़क पर कचरा डंप करने के कारण आसपास वालों का रहना या उधर से गुजरना मुश्किल हो गया है। कचरे के दुर्गध से लोग परेशान हैं। इस रास्ते प्रतिदिन हजारों यात्री रेलवे स्टेशन एवं बस स्टैंड जाते हैं। निगम के इस रवैये से स्थानीय लोगों में आक्रोश है। वे कभी भी आंदोलन का बिगुल फूंक सकते हैं। महापौर सुरेश कुमार भी इसी मार्ग से निगम कार्यालय आते-जाते हैं। वे कई बार निगम के अधिकारियों से इसकी शिकायत कर चुके हैं।
करोड़ों के उपकरण के बाद भी सड़क पर कचरे की डंपिग
शहर से प्रतिदिन दो से ढाई सौ टन कचरा निकलता है। इन कचरों को रौतनिया स्थित डंपिग प्वाइंट पर निष्पादित किया जाता है। शहर से कचरे को उठाकर रौतनिया ले जाने के लिए निगम के पास करोड़ों रुपये के वाहन हैं। हाल ही में करोड़ों रुपये के कई आधुनिक उपकरण भी खरीदे गए। इसके बावजूद शहर की सफाई में बहुत बड़ा परिवर्तन नहीं हुआ है। अभी भी सड़क पर ही कूड़े को डंप करना पड़ रहा है। सफाई पर हर साल बीस करोड़ खर्च
शहर की साफ-सफाई में 1200 से अधिक सफाईकर्मी लगे हैं। हर वार्ड में 13-13 सफाइकर्मियों की टीम तैनात है। निगम को सफाई पर सालाना 25 से 30 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। सफाई वाहन सालाना तीन से चार करोड़ रुपये का तेल पी रहे हैं। बावजूद शहर की सफाई में कोई सुधार नहीं हुआ। कोट-
पहले से सफाई व्यवस्था ठीक हुई है, लेकिन कचरा निष्पादन की प्रक्रिया अभी भी ठीक से काम नहीं कर रही। इसमें सुधार की आवश्यकता है। माल गोदाम रोड में कचरा जमा किया जाना कतई स्वीकार नहीं। निगम के पास अब संसाधनों की कमी नहीं है, इसलिए सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने की जरूरत है।
-सुरेश कुमार, महापौर
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