स्मार्ट सिटी केवल नाम, गड्ढे में सुरक्षा इंतजाम
शहर को स्मार्ट बनाने के लिए योजनाओं पर काम तो चल रहे मगर इसमें सुरक्षा मानकों का कहीं ख्याल नहीं रखा जा रहा। नतीजा यह कि आम जनता और निर्माण के काम में लगे मजदूर जान गंवा रहे। जलजमाव के कारण एक सप्ताह पहले एक युवक की पानी में करंट दौड़ने से मौत हो गई थी। वहीं शनिवार को एक मजदूर की काम के दौरान गड्डे में डूबने से हो गई थी। राहगीर तो रोज खुले गड्ढे में गिरकर घायल हो रहे मगर इतने के बाद भी पदाधिकारियों की संवेदना नहीं जगी। सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर अब भी काम हो रहा मगर एजेंसी पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही।
मुजफ्फरपुर । शहर को स्मार्ट बनाने के लिए योजनाओं पर काम तो चल रहे, मगर इसमें सुरक्षा मानकों का कहीं ख्याल नहीं रखा जा रहा। नतीजा यह कि आम जनता और निर्माण के काम में लगे मजदूर जान गंवा रहे। जलजमाव के कारण एक सप्ताह पहले एक युवक की पानी में करंट दौड़ने से मौत हो गई थी। वहीं शनिवार को एक मजदूर की काम के दौरान गड्डे में डूबने से हो गई थी। राहगीर तो रोज खुले गड्ढे में गिरकर घायल हो रहे, मगर इतने के बाद भी पदाधिकारियों की संवेदना नहीं जगी। सुरक्षा मानकों को ताक पर रखकर अब भी काम हो रहा, मगर एजेंसी पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। कंस्ट्रक्शन कंपनी की भी संवेदना इतनी मर गई कि उसकी लापरवाही से मजदूर की मौत पर पल्ला झाड़ लिया गया। खुला गड्ढा, नेट का भी इंतजाम नहीं
शहर के सबसे भीड़-भाड़ वाले इलाके मोतीझील में ड्रेनेज सिस्टम के लिए नाला खोदकर छोड़ दिया गया है। कई जगह पर जलजमाव के कारण इसका पता भी नहीं चलता। इसमें निकला छड़ किसी की जान ले सकता है। हालत यह कि चेतावनी के नामपर एक बोर्ड भी नहीं टंगा है। छोटी सरैयागंज, लक्ष्मी चौक, स्टेशन रोड, कल्याणी आदि जगहों पर भी यही हाल है। श्रमिकों की सुरक्षा मानकों का भी पालन नहीं : शहर में सात सौ करोड़ की डेढ़ दर्जन योजनाओं पर काम चल रहा है। पांच सौ से अधिक श्रमिक इन कंपनियों के लिए कार्य कर रहे हैं, लेकिन कंपनियां सरकार द्वारा तय श्रमिक मानकों का पालन नहीं कर रही हैं। नगर निगम से सेवानिवृत्त अभियंता उदय शंकर प्रसाद सिंह बताते हैं कि सरकारी प्रविधान के अनुरूप कार्य के दौरान उपलब्ध कराए जाने वाले सुरक्षा उपकरणों से अधिकांश श्रमिक महरूम हैं। निर्माण कार्य के दौरान प्रत्येक श्रमिक को व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, पीपीई गार्ड जिसमें सुरक्षा हेलमेट या हाई टोपी हो, सुरक्षा जूते, ईयर मफ्स या ईयर प्लग्स, सुरक्षा चश्मे एवं सुरक्षा दस्ताने देना है। साथ ही कार्य के जोखिम के अनुसार निर्माण स्थल पर सुरक्षा उपायों का होना जरूरी है, लेकिन अधिकांश कंपनियां इसका पालन नहीं कर रहीं हैं। कुछ के पास यदि सुरक्षा उपकरण हैं भी तो वे मानक के अनुरूप नहीं हैं। इसकारण कार्य के दौरान किसी अप्रिय घटना के समय उन उपकरणों से उनकी जान बचना मुश्किल होता है। उन्होंने कहा कि मजदूरों को यह तक पता नहीं है कि कार्य के दौरान अगर उनकी जान चली जाए तो कंपनी या संवेदक इसके लिए कितने जिम्मेदार होंगे। इसका बेजा फायदा कंस्ट्रक्शन कंपनियां उठा रहीं हैं और घटना होने पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर लीपापोती कर दी जाती है।
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नहीं कराया जाता श्रमिकों का बीमा : नगर निगम क्षेत्र में चल रहे सीवरेज निर्माण कार्य का ठीका जापान की कंस्ट्रक्शन कंपनी तोशिबा वाटर साल्यूशंस एवं भारतीय कंपनी जयंती सुपर कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने संयुक्त रूप से लिया है। इसा कार्य में शामिल एक श्रमिक ने बताया कि श्रमिकों का जीवन बीमा नहीं कराया गया है।
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सिर्फ निर्देश व चेतावनी देने तक अपनी भूमिका मानती स्मार्ट सिटी कंपनी :
मजदूर की मौत के बाद निर्माण कार्य की देखरेख कर रही स्मार्ट सिटी कंपनी प्रा. लि. के पदाधिकारी सुरक्षा उपायों को लेकर काम कर रही कंपनी या एजेंसी को सिर्फ निर्देश एवं चेतावनी देने तक अपनी भूमिका मानते हैं। कंपनी के सीईओ भूदेव चक्रवर्ती मजदूर की मौत के लिए खुद को या स्मार्ट सिटी कंपनी को जिम्मेदार नहीं मानते। इसके लिए काम रही एजेंसी को वे जिम्मेदार मानते हैं। वहीं कंपनी के प्रतिनिधि घटना के बाद से मोबाइल का काल नहीं उठा रहे हैं। उन्होंने तो मजदूर की मौत के लिए खुद मजदूर की ही गलती बताकर मामला रफा- दफा कर दिया।