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एसकेएमसीएच का पीकू अब होगा कोरोना वार्ड

जिले में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है। इसी क्रम में अब एसकेएमसीच का पीआइसीयू यानी पीकू वार्ड को नया कोरोना वार्ड बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसे तीन दिनों के अंदर कोरोना वार्ड के रूप में बदलने का निर्देश डीएम ने दिया है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 11:57 PM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 11:57 PM (IST)
एसकेएमसीएच का पीकू अब होगा कोरोना वार्ड
एसकेएमसीएच का पीकू अब होगा कोरोना वार्ड

मुजफ्फरपुर। जिले में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन ने तैयारी शुरू कर दी है। इसी क्रम में अब एसकेएमसीच का पीआइसीयू यानी पीकू वार्ड को नया कोरोना वार्ड बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। इसे तीन दिनों के अंदर कोरोना वार्ड के रूप में बदलने का निर्देश डीएम ने दिया है। जिलाधिकारी ने गुरुवार को एसकेएमसीएच पहुंचकर पीकू वार्ड का निरीक्षण कर आवश्यक निर्देश दिए। नए वार्ड में ऑक्सीजन युक्त कुल 160 बेड होंगे। इनमें सौ बेड आइसीयू के लिए रहेंगे।

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सीएम ने दिया था सुझाव

दरअसल, पिछले दिनों समीक्षा बैठक के दौरान सीएम ने कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए पीआइसीयू को कोरोना वार्ड के रूप में उपयोग किए जाने पर विचार करने का सुझाव दिया था। इसके बाद बुधवार को देर शाम स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव प्रत्यय अमृत और सचिव लोकेश कुमार सिंह ने एसकेएमसीएच का निरीक्षण किया था। उन्होंने कहा था कि पीकू वार्ड में अब कोरोना मरीज भर्ती होंगे। वहां पर चल रहे बच्चों का इलाज पुराने भवन में होगा। प्रधान सचिव ने जिलाधिकारी को पीकू में शीघ्र कोरोना वार्ड शुरू कराने और पीकू वार्ड को पुराने भवन में ले जाने में सहयोग करने को कहा था।

जरूरत पड़ने पर अतिथिशाला के 60 बेड का होगा उपयोग : संक्रमित मरीजों के इलाज में परेशानी नहीं हो इसका पूरा ख्याल रखा जाएगा। अतिरिक्त बेड की आवश्यकता होगी तो उसी परिसर में बने अतिथिशाला में भी 60 बेड उपलब्ध हैं। वहां ऑक्सीजन पाइप लाइन की व्यवस्था सुनिश्चित करते हुए इसे भी कार्ययोजना में शामिल करें। एसकेएमसीएच के अधीक्षक डॉ.सुनील कुमार शाही ने कहा कि इलाज की यहां पर सारी व्यवस्था हो जाएगी। इधर चिकित्सकों ने कहा कि पीकू वार्ड व एनआइसी एक जगह पर रहने से अभी इलाज आसानी है। शिशु विभाग में चिकित्सकों की संख्या कम होने से पुराने भवन में पीकू व नए बने मातृ-शिशु सदन में एनआइसी रहने में इलाज व्यवस्था संभालने में परेशानी होगी। इसलिए दोनों को एक जगह रहना चाहिए। इसको लेकर भी मंथन की जरूरत है।


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