केजरीवाल अस्पताल पहुंचे एईएस के छह संदिग्ध मरीज, एक की मौत
निरीक्षण को पहुंचे एसीएमओ व जिला मलेरिया पदाधिकारी ने कराया रेफर। रेफर करवाने से केजरीवाल अस्पताल के चिकित्सक नाराज। इलाज को आए सभी बच्चे भूखे पेट सोए थे।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। केजरीवाल अस्पताल में एईएस के आधा दर्जन संदिग्ध मरीज पहुंचे। इलाज के क्रम में एक की मौत हो गई। मरने वाले का नाम करजा निवासी रूपेश कुमार बताया गया है। जांच के लिए पहुंचे एसीएमओ डॉ.हरेन्द्र आलोक व जिला मलेरिया पदाधिकारी डॉ.सतीश कुमार की सलाह पर सभी मरीजों को रेफर कर दिया गया। रेफर के सवाल पर केजरीवाल के चिकित्सक नाराज दिखे। उनका कहना था कि यहां पर स्वास्थ्य विभाग की ओर से तय मानक के हिसाब से यानी प्रोटोकॉल के हिसाब से इलाज चल रहा था। जांच की प्रक्रिया चल रही थी, इस बीच रेफर करा दिया गया। जिन बच्चों को रेफर किया गया। उसमें से अधिकांश बच्चे रात में खाली पेट सो गए थे।
हमरा पैसा न जुटल घरे ले अइली
सर, पैसा न जुटल त पटना न जा के घर वापस आ गईली....। अब ऊपर वाला के दुआ से जे होतई से होतई...। इतना कहकर भावुक हुआ तसलीम। सरैया गिजास के तसलीम ने बताया कि मंगलवार की रात उसकी नतनी शमा प्रवीण उर्फ अफसना परवीन रात आठ बजे तक गांव में एक बरात में खूब आनंदित हुई। रात दस बजे हल्का भोजन कर सो गई। सुबह जगा तो देखा की उसके मुंह पर मक्खी बैठी हुई है।
उसके बाद जाकर देखा तो उसको चमकी हो रहा था। वहां से बसरा बाजार पर एक क्वैक के पास जाकर दिखाया। उसने सुई व दवा दी। वहां पर काफी पैसा खर्च हुआ। उसके बाद केजरीवाल अस्पताल आया। यहां आने के बाद इलाज हुआ। बुधवार को 11 बजे से लेकर दोपहर एक बजे तक तबीयत ठीक रही। उसके बाद अचानक तबीयत बिगडऩे लगी। दो हाकीम बाहर के आए थे उन्होंने पटना रेफर करा दिया।
रेफर करने के बाद उसके पास पैसा नहीं बचा था। एंबुलेंस भी नहीं मिला। निराश होकर घर आ गया। घर पर बेटी का पेट लगातार फूल रहा है तथा चमकी खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। उसने बताया कि उसके गांव में चमकी-बुखार से बचाव के लिए कोई प्रचार-प्रसार नहीं हुआ। न ही कोई जागरूकता पर्चा ही मिला है।
इस बारे में एसीएमओ प्रभारी डॉ.हरेन्द्र आलोक ने कहा कि मरीज को देखने के लिए केजरीवाल अस्पताल गए थे। वहां पर बच्चों को देखा। सलाह दिया गया कि जिसकी हालत खराब है उसको रेफर कर दिया जाए। रेफर करने का दबाव किसी पर नहीं दिया गया। बच्चों के बेहतर इलाज के लिए एसकेएमसीएच रेफर करने की सलाह दी गई थी।
यहां हो रही चूक
- गर्मी बढऩे के साथ ही आशा व एएनएम के जरिए प्रतिदिन सर्वे होना चाहिए कि कितने बच्चे बुखार से पीडि़त हैं। बस्ती में चेचक और कै दस्त से पीडि़त की जांच होनी चाहिए। यदि ऐसा होता तो एक गांव के तीन बच्चे पीएचसी के बदले सीधे केजरीवाल नहीं पहुंचते।
-गर्मी की धमक के साथ गांव-गांव में जागरूकता के लिए पर्ची बांटना था, मगर ऐसा नहीं हुआ
- राज्य मुख्यालय से आया था जागरूकता पर्चा, उसके बाद आ रही शिकायत कि नहीं मिली पर्ची
- बीमार बच्चे को मिलनी चाहिए सरकारी एम्बुलेंस, लेकिन अभी यह शुरू नहीं हुआ है
- एईएस अज्ञात, ज्ञात के जांच में बच्चों की हालत हो रही खराब, अब तो मरने लगे हैं बच्चे
गर्मी से होती है यह बीमारी
एईएस (एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम) का मुख्य कारण गर्मी, नमी व कुपोषण है। एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर साहनी के शोध का प्रकाशन इंडियन पीड्रियेटिक जनरल में हुआ है। इसमें उन्होंने कहा कि जब गर्मी 36 से 40 डिग्री सेल्सियस व नमी 70 से 80 के बीच हो तो इस बीमारी का कहर अधिक होता है। इस बीमारी का लक्षण है कि तेज बुखार व चमकी आना। देखते-देखते बच्चे का बेहोश हो जाना। आमलोगों को सलाह दिया कि अपने बच्चे को खाली पेट नहीं सोने दें। खूब पानी पिलाएं। तेज बुखार व चमकी हो तो सीधे सरकारी अस्पताल में लेकर जाएं। किसी भी ओझा-गुनी के चक्कर में नहीं पड़ें।
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