Sitamarhi News: मुखिया के लिए 10 से 50 लाख तो पंसस के लिए पांच से 25 लाख तक खर्च करने वाले प्रत्याशी, खुल गया है खर्च का रेट
मुखिया चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए पसीने के साथ पैसे भी बहा रहे सीतामढ़ीःजिले में कई प्रत्याशी। भारत-नेपाल बॉर्डर पर बसा मेजरगंज प्रखंड विकास के मामले में काफी पिछड़ा इलाका है। इस प्रखंड में महज आठ पंचायत वाला हैं। विकास से अभी भी कोसों दूर है यह प्रखंड।
मेजरगंज (सीतामढ़ी), जासं। सीतामढ़ी जिले का मेजरगंज प्रखंड नेपाल बॉर्डर से जुड़ा है। तीन नवंबर को मतदान है। महज आठ पंचायत वाला यह प्रखंड विकास के मामले में काफी पिछड़ा है। पंचायती राज व्यवस्था में पंचायत को खुशहाल एवं विकास को लेकर केंद्र व राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। विकास से फिर भी कोसों दूर है। कच्ची एवं जर्जर सड़क से आवागमन परेशानी का सबब है। कभी बाढ़ तो कभी सुखाड़ यहां की नियति है। फिर भी चुनाव के दिनों में आम-अवाम का उत्साह चरम पर है। सुबह से देर रात तक प्रत्याशी द्वारे-द्वारे वोट की अपील कर रहे हैं। वोटरों को लुभाने के लिए तमाम झांसे दे रहे हैं। कई लोग छूटा दावत भी दे रहे हैं। सूबे में शराबबंदी है पर शाम होते ही पियक्कड़ों की मस्ती बयां करती है चुनावी फिजां उनके लिए बहार बनकर आई है। सबसे ज्यादा लंबी प्रत्याशियों की कतार मुखिया एवं पंचायत समिति पद पर है। सबसे ज्यादा मलाईदार पद भी ये ही दोनों है। सूत्रों की माने तो मुखिया पद के लिए दस से पचास लाख, वही पंचायत समिति पद के लिए भी पांच से पच्चीस लाख रुपये तक खर्च किया जा रहा है।
बहती गंगा में सब हाथ धो रहे, प्रत्याशियों को आश्वासनों की घुटी
प्रशासन की सख्ती के वावजूद आदर्श आचार संहिता की धज्जियां उड़ रही हैं। चुनाव प्रचार में दर्जनों वाहनों का काफिला प्रत्याशियों के दमखम का परिचायक बना है। जिनके साथ जितनी गाडिय़ों का काफिला उनको उतना ही मजबूत व जीत का प्रबल दावेदार समझा जा रहा है। बाइक जुलूस में बाइक देने के लिए वोटरों को लोगो को प्रति पांच सौ- हजार रुपये भी मिल जा रहे हैं। चार पहिया वाहन है तो हजार रुपये से तीन हजार तक आमदनी हो रही। कई प्रत्याशी अपने कार्यकर्ता को ब्रांडडेड कपड़े व जूते-मोबाइल भी बांट रहे हैं। वोटर भी सबको खुश करने में लगा है। बहती गंगा में हाथ धोने का मौका वह भी नहीं चूकना चाहते। वोटरों की हामी से प्रत्याशी मन ही मन जीत को लेकर आश्वस्त है। मतदान से ज्यादा भरोसा उम्मीदवार को धनबल पर है। पब्लिक भी वैसे कंडीडेट से भलीभांति परिचित है और उनसे खूब इंज्वाय कर रही है। लोगों का कहना है कि प्रत्यशियों में रुपये बांटने का प्रचलन हो गया है। जिस कारण सभी योजनाओं में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों द्वारा धड़ल्ले से कमीशन लिए जाते हैं।