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सीतामढ़ी के विधायक ने तबादलों के लिए अपनी ही सरकार को घेरा, प्रधानमंत्री व गृहमंत्री तक को किया ट्विट

विधायक डॉ.मिथिलेश बोले-बिहार में पदाधिकारियों के तबादला का घृणित दौर शुरू संघ प्रमुख बिहार संगठन महामंत्री प्रधानमंत्री गृह मंत्री व राष्ट्रीय अध्यक्ष को ट्विट कर अवगत कराया बीडीओ सीओ और थानेदारों की तैनाती में विधायकों की राय नहीं लेने उनकी सिफारिश नहीं मानने पर अपनी आपत्ति जताई है ।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Published: Sun, 20 Jun 2021 05:43 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jun 2021 05:43 PM (IST)
सीतामढ़ी के विधायक ने तबादलों के लिए अपनी ही सरकार को घेरा, प्रधानमंत्री व गृहमंत्री तक को किया ट्विट
सीतामढ़ी के व‍िधायक ने प्रधानमंत्री व गृहमंत्री को क‍िया ट्विट। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

सीतामढ़ी, जासं। व्यवस्था में गड़बड़ी के खिलाफ हमेशा आवाज बुलंद करते रहने वाले भाजपा के प्रदेश मीडिया संपर्क प्रमुख सह सीतामढ़ी के विधायक डॉ. मिथिलेश कुमार ने एकबार फिर अपनी ही सरकार को घेरा है। उन्होंने साफ कहा है कि तबादलों का घृणित दौर शुरू हो गया है । बीडीओ, सीओ और थानेदारों की तैनाती में विधायकों की राय नहीं लेने उनकी सिफारिश नहीं मानने पर अपनी आपत्ति जताई है । कहा है कि विधायक स्थानीय जनप्रतिनिधि होता है। ऐसे में उससे राय लेनी चाहिए ।

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विधायक ने आगे कहा कि एक तरफ ग्रामीण विकास मंत्री कहते हैं कि हर विधायक अपनी जाति-समाज के बीडीओ का प्रस्ताव दे रहा है । हम कहते हैं कि जाति का अफसर नहीं बल्कि, काम करने वाला और जानकार अधिकारी की पदस्थापना की सिफारिश करनी चाहिए । उन्होंने संघ प्रमुख मोहन भागवत , भाजपा के बिहार संगठन महामंत्री नागेन्द्र, राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी , गृह मंत्री अमित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा एवं राज्यसभा सदस्य और संघ के समर्पित व्यक्ति प्रो.राकेश सिन्हा को ट्वीट करके सरकार पर तबादलों की घृणित राजनीति का आरोप लगाया है ।

विधायक डॉ. कुमार ने कहा है कि जनता की छोटी और बड़ी समस्याओं का विधि -सम्मत निष्पादन स्थानीय जनप्रतिनिधि करेंगे या कोई मंत्री 12 करोड़ जनता का सीधा समाधान करेंगे। यह उनके लिए एक यक्ष प्रश्न है । क्या संपूर्ण जनप्रतिनिधियों के क्षेत्रीय समस्या की जवाबदेही और संगठन के विस्तार तथा आगामी चुनाव की सभी प्रकार की जवाबदेही मंत्री के कंधों पर ही होगी ? कहा कि मेरे जैसा वैचारिक कार्यकर्त्ता की ईमानदारी को नीलाम करने के मंसूबे कामयाब नहीं हो सकेंगे , चाहे जिनकी भी पद या धन की संपन्नता कितनी भी हो जाए , फकीर को न तो खरीदा जा सकता है और न ही उनकी विचारधारा को कोई प्रभावित कर सकता है ।


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