Muzaffarpur Crime: फर्जी कागजात पर जारी सिम मामले की एसआइटी जांच शुरू, अपराधी धड़ल्ले से करते थे इस्तेमाल
Muzaffarpur Crime फर्जी पेपर से जारी सिम से ही विधान पार्षद व कई कारोबारियों से मांगी गई थी रंगदारी। साइबर फ्राॅड प्रश्न पत्र लीक करने वाले पेशेवर अपराधियों व संदिग्ध गतिविधियों में शामिल लोग कर रहे इस्तेमाल। जांच में सामने आया मामला।
मुजफ्फरपुर, जासं। फर्जी कागजात पर जारी सिम मामले में नगर थाने में दर्ज प्राथमिकी के बाद पुलिस ने इसकी जांच शुरू कर दी है। नगर थानाध्यक्ष अनिल कुमार ने बताया कि शहरी क्षेत्र के दुकानों के बारे में पता किया जा रहा है। इसके साथ ही जिनके नाम पर सिम निर्गत है उनकी गतिविधि व कागजात की भी जांच की जाएगी। वहीं एसएसपी के निर्देश पर एसआइटी का भी गठन किया गया है। यह विशेष टीम अलग-अलग जगहों पर जांच में जुट गई है। बता दें कि नगर थाने के पूर्व सदर थाने में भी फर्जी कागजात पर सिम जारी करने का मामला दर्ज कराया जा चुका है। इस तरह से यह बात सामने आ चुकी है कि फर्जी दास्तावेज के तहत जारी सिम से साइबर फ्राॅॅड, पेशेवर अपराधी व अन्य आपराधिक घटनाओं को अंजाम दे रहे है।
पुलिस मुख्यालय के सात स्मार के बाद दर्ज कराई गई प्राथमिकी
मामले में पुलिस मुख्यालय एसटीएफ व आर्थिक इकाई की ओर से एसएसपी को पहली बार पिछले साल 21 मई को पत्र लिख कर कार्रवाई का आदेश दिया था। बावजूद एसएसपी के द्वारा कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद सात बार स्मार पत्र भेजने के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई। बता दें कि इसके पूर्व मार्च 2022 में सदर थाने में 33 डिस्ट्रीब्यूटर व रिटेलर पर प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। हालांकि मामला दर्ज करने के बाद अबतक पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। मामले में एक भी रिटेलर तक पुलिस नहीं पहुंच पाई। मुख्यालय से जारी पत्र में कहा गया कि 18 मई 2022 को हाईकोर्ट में आर्थिक अपराध इकाई की ओर से शपथ पत्र दायर करना है। इसके बाद आनन-फानन में नगर थाने में इसकी प्राथमिकी दर्ज की गई। इसमें 208 रिटेलर, डिस्ट्रीब्यूटर और क्रेता समेत अन्य को आरोपित किया गया है।
विधान पार्षद से रंगदारी मांगने में अबतक गिरफ्तारी नहीं
विधान पार्षद दिनेश प्रसाद सिंह से एक करोड़ की रंगदारी मांगने के मामले में भी फर्जी कागजात पर सिम जारी करने की बात सामने आई थी। इसके कारण पुलिस आरोपित की गिरफ्तार नहीं कर सकी। जांच के दौरान मामले में शिवहर से एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया था, लेकिन पूछताछ के बाद छोड़ दिया गया था। इसके बाद सदर थाने में फर्जी दस्तावेज पर 33 सिम जारी करने से संबंधित मामला दर्ज किया गया था।
शराब धंधेबाज भी इसी सिम से करते धंधा
पुलिस का कहना है कि इसमें कई सिम ऐसे मिले है, जो वर्तमान में शराब धंधेबाजों के द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी नंबर के जरिए वे शराब का धंधा कर रहे हैं।
प्रतियोगिता परीक्षा प्रश्न पत्र में भी फर्जी पेपर पर जारी सिम का यूज
2011 से लेकर अबतक की कई प्रतियोगिता परीक्षाओं में भी फर्जी दस्तावेज पर ही सिम निकालकर प्रश्न पत्र लीक को भी अंजाम देने की बात सामने आई है। बता दें कि मामला प्रकाश में आने के बाद टेलीकाम कंपनियों को प्राथमिकी दर्ज कराने को कहा गया था, लेकिन कंपनी की ओर से मामला दर्ज नहीं कराया गया। इसके बाद पुलिस ने कांड दर्ज किया।