किसी जीव का अहित करने वाला वचन सत्य होते हुए भी असत्य
'पर्यूषण' पर्व के पांचवें दिन श्री दिगंबर जैन मंदिर मोतीझील में उत्तम सत्य की पूजा की गई।
मुजफ्फरपुर। 'पर्यूषण' पर्व के पांचवें दिन श्री दिगंबर जैन मंदिर मोतीझील में उत्तम सत्य की पूजा की गई। शास्त्री संतोष जैन ने कहा कि जहां उत्तम क्षमा, उत्तम मार्दव, उत्तम आर्जव, उत्तम शौच आत्मा का स्वभाव है, वहीं सत्य संयम तप त्याग इन गुणों को प्रगट करने के उपाय हैं। जैन दर्शन में सत्य का अर्थ हित-मीत-प्रिय वचन बोलने से है। हितकारी वचन यानि जिसमें जीव मात्र की भलाई हो। जिन वचनों से यदि किसी जीव का अहित होता हो तो वे वचन सत्य होते हुए भी असत्य ही है। इसलिए बोलने से पहले विचार अवश्य करना चाहिए। सत्यवादी की ही सर्वत्र प्रतिष्ठा होती है, वहीं सुखी है। नम्रता और प्रिय संभाषण ही मनुष्य के आभूषण माने गए हैं। वाणी ही तो है जो मनुष्य की सभ्यता और असभ्यता की पहचान कराती है। वाणी मनुष्य को घायल भी कर सकती है और मरहम भी लगा सकती है। असत्य वचन बोलने से अपयश, अरति, कलह, बैर, बध, बंधन, मरण, जिव्हाछेद, व्रत शील संयमादि का नाश, नरकादि दुर्गतियों में गमन, घोर पाप का आस्त्रव आदि हजारों दोष प्रगट होते हैं।
इससे पूर्व सुबह में भगवान महावीर का अभिषेक व पूजा-आरती हुई। शाम को आरती व प्रवचन में मंदिर कमेटी के अध्यक्ष सुमेरचंद्र जैन, महामंत्री रवींद्र कुमार जैन, कोषाध्यक्ष राजेश कुमार जैन, संयोजक नरेंद्र कुमार जैन व सदस्यों में राकेशचंद्र जैन, महेशचंद्र जैन, अजय कुमार जैन, राजेश कुमार जैन अजमेरा, मनोज कुमार जैन, महावीर कुमार जैन, संजय कुमार जैन, ओमप्रकाश जैन, सचिन कुमार जैन, दिनेश कुमार जैन, चक्रेश जैन, नितिन जैन, प्रमोद जैन व नवीन जैन, शशि जैन, अनीता जैन, कुसुम जैन, सुमन जैन, सुशीला जैन, बीना जैन, पुष्पा जैन आदि मौजूद रहीं।