सदर अस्पताल में दवाओं की कमी, मरीजों को झेलनी पड़ रही परेशानी
अधिकांश दवाएं बाहर के दुकानों से खरीद रहे मरीज, सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों से आए मरीजों को होना पड़ रहा निराश!
By Ajit KumarEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 11:55 AM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 11:55 AM (IST)
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। सदर अस्पताल सहित जिले के विभिन्न सरकारी अस्पतालों में कई जीवन रक्षक दवाओं की कमी के कारण मरीजों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। वे अधिकांश दवाएं बाहर के दुकानों से खरीद रहे हैं। हालत यह है कि अस्पताल में मामूली खांसी का सिरप तक नहीं है। शुक्रवार को अस्पताल पहुंचे सुरेश कुमार, रामप्रवेश प्रसाद, सुरेंद्र महतो, च्योति, राजकिशोर ने बताया कि अस्पताल के दवा काउंटर पर ज्यादातर जरूरी दवाएं हमेशा गायब ही रहती हैं।
ऐसे में सस्ती इलाज व मुफ्त दवा पाने की उम्मीद लिए ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को निराश होना पड़ता है। उन्हें महंगे दामों पर अस्पताल से बाहर जाकर दवा खरीदनी पड़ रही है। डाक्टरों द्वारा लिखी दवा की पर्ची लेकर मरीज अस्पताल के दवा काउंटर पर जाते तो हैं, लेकिन वहां से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है। ऐसे में सदर अस्पताल में इलाज कराना महज औपचारिकता बन कर रह गया है।
काउंटर से अधिकतर दवाएं गायब
इन दिनों सदर अस्पताल में जरूरत की दवाएं नहीं के बराबर हैं। जो बची हैं, वो भी जल्द ही खत्म होने के कगार पर हैं। कफ सिरप नहीं रहने होने से मौसमी बीमारियों की चपेट में आने वाले मरीजों को परेशानी हो रही है। दर्द निवारक डायक्लोफेनाक, गैस की दवा रेनिटिडिन, कैल्शियम, बच्चों के लिए एंटीबॉयोटिक दवा, इयर ड्रॉप्स, माइकोनाजोल मलहम, जीबी लोशन व ब्लड सुगर की दवा भी उपलब्ध नहीं।
भवन चकाचक, पर दवा भंडार है खाली
विभाग की लापरवाही की वजह से अस्पताल में करोड़ों रुपये भवन की मरम्मत व रंगरोगन सहित स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार पर तो खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन दवाओं की खरीदारी नहीं होने से मरीजों को स्वास्थ्य लाभ देने के उद्देश्य पर पानी फिर रहा है।
मरीजों से होती रहती बकझक
चिकित्सक को दिखाने के बाद जब मरीज दवा काउंटर पर आते हैं, तो उन्हें अस्पताल के स्टॉक में दवा नहीं होने की जानकारी दी जाती है। जिससे वे आक्रोशित जाते हैं। कई बार नौबत कहासुनी व हंगामे तक की आ जाती है। जिससे प्रबंधन को बीचबचाव करना पड़ता है। स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि मरीजों को लगता है कि स्टॉक में दवा है, लेकिन उनसे बहाना किया जा रहा है।
जिससे इस तरह की स्थिति पैदा होती रहती है। और तो और स्थिति यह भी है कि दो-दो दवा काउंटर बिना फार्मासिस्टों के डाटा ऑपरेटरों के भरोसे चल रहा है। सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ.एनके चौधरी ने कहा कि इधर अस्पताल में कुछ दवाओं की कमी हो गई है। अधिकतर दवाएं हैं। जल्द ही दवा की आपूर्ति हो जाएगी। दवा की उपलब्धता बराबर रहे, इसके लिए प्रयास किया जा रहा है।
ऐसे में सस्ती इलाज व मुफ्त दवा पाने की उम्मीद लिए ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले मरीजों को निराश होना पड़ता है। उन्हें महंगे दामों पर अस्पताल से बाहर जाकर दवा खरीदनी पड़ रही है। डाक्टरों द्वारा लिखी दवा की पर्ची लेकर मरीज अस्पताल के दवा काउंटर पर जाते तो हैं, लेकिन वहां से उन्हें खाली हाथ लौटना पड़ता है। ऐसे में सदर अस्पताल में इलाज कराना महज औपचारिकता बन कर रह गया है।
काउंटर से अधिकतर दवाएं गायब
इन दिनों सदर अस्पताल में जरूरत की दवाएं नहीं के बराबर हैं। जो बची हैं, वो भी जल्द ही खत्म होने के कगार पर हैं। कफ सिरप नहीं रहने होने से मौसमी बीमारियों की चपेट में आने वाले मरीजों को परेशानी हो रही है। दर्द निवारक डायक्लोफेनाक, गैस की दवा रेनिटिडिन, कैल्शियम, बच्चों के लिए एंटीबॉयोटिक दवा, इयर ड्रॉप्स, माइकोनाजोल मलहम, जीबी लोशन व ब्लड सुगर की दवा भी उपलब्ध नहीं।
भवन चकाचक, पर दवा भंडार है खाली
विभाग की लापरवाही की वजह से अस्पताल में करोड़ों रुपये भवन की मरम्मत व रंगरोगन सहित स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार पर तो खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन दवाओं की खरीदारी नहीं होने से मरीजों को स्वास्थ्य लाभ देने के उद्देश्य पर पानी फिर रहा है।
मरीजों से होती रहती बकझक
चिकित्सक को दिखाने के बाद जब मरीज दवा काउंटर पर आते हैं, तो उन्हें अस्पताल के स्टॉक में दवा नहीं होने की जानकारी दी जाती है। जिससे वे आक्रोशित जाते हैं। कई बार नौबत कहासुनी व हंगामे तक की आ जाती है। जिससे प्रबंधन को बीचबचाव करना पड़ता है। स्वास्थ्य कर्मियों का कहना है कि मरीजों को लगता है कि स्टॉक में दवा है, लेकिन उनसे बहाना किया जा रहा है।
जिससे इस तरह की स्थिति पैदा होती रहती है। और तो और स्थिति यह भी है कि दो-दो दवा काउंटर बिना फार्मासिस्टों के डाटा ऑपरेटरों के भरोसे चल रहा है। सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ.एनके चौधरी ने कहा कि इधर अस्पताल में कुछ दवाओं की कमी हो गई है। अधिकतर दवाएं हैं। जल्द ही दवा की आपूर्ति हो जाएगी। दवा की उपलब्धता बराबर रहे, इसके लिए प्रयास किया जा रहा है।
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