दूध व्यवसाय को झटका, कम हो गए खरीदार
कोरोना वायरस ने दूध व्यवसाय को बुरी तरह प्रभावित किया है। आर्थिक रूप से पशुपालकों की कमर टूटने के साथ ही दुग्ध व्यवसाय करने वाली सहयोग समितियों को भी काफी नुकसान हो रहा है।
मुजफ्फरपुर। कोरोना वायरस ने दूध व्यवसाय को बुरी तरह प्रभावित किया है। आर्थिक रूप से पशुपालकों की कमर टूटने के साथ ही दुग्ध व्यवसाय करने वाली सहयोग समितियों को भी काफी नुकसान हो रहा है। दूध का उत्पादन तो बढ़ा, मगर उसके खरीदार नहीं मिल रहे। तिरहुत दुग्ध उत्पादन सहयोग समिति (तिमुल) के सुधा दूध की आपूर्ति व डिमांड काफी प्रभावित हुई है। यहीं हाल अन्य दूध उत्पादकों का भी है। इससे सभी की चिंता बढ़ी है। तिमुल के सुधा दूध के डिमांड में 70 से 75 हजार लीटर की कमी आई है। वहीं तिमुल को सहयोगी समिति से मिलने वाले दूध में इजाफा हुआ है। दुग्ध उत्पादन सहयोग समितियों से तिमुल को करीब तीन लाख 25 हजार लीटर दूध की आपूर्ति हो रही है। लॉकडाउन से पूर्व यह दो लाख 60 हजार लीटर तक थी। पहले डिमांड डेढ़ से पौने दो लाख लीटर थी। वहीं, अब यह करीब एक लाख तक सिमट गई है। दूध के खरीदार नहीं मिलने से पार्लर वालों की भी चिंता बढ़ गई है। पार्लर संचालकों का कहना है कि लॉकडाउन से अधिकतर लोग घर से नहीं निकल रहे हैं। ऐसे में दूध की मांग काफी कम हो गई है। जो पार्लर तक आ भी रहे वो पहले से कम दूध ही ले रहे हैं। काफी दूध फ्रिज में ही रह जा रहा है।
सहयोग समितियों से अंतराल
पर दूध ले रहा तिमुल
दूध की मांग कम होने के बाद तिमुल अपने दुग्ध उत्पादन सहयोगी समितियों से एक दिन के अंतराल पर दूध ले रहा है। तिमुल मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, मोतिहारी, बेतिया, गोपालगंज व सिवान जिलों में हर दिन एक जिले से दूध नहीं ले रहा है। तिमुल के अध्यक्ष नागेश्वर राय ने कहा कि दूध की मांग कम होने से यह कदम उठाया गया है।
गांव से आने वाले दूध को शहर के कई लोगों ने किया बंद
कोरोना वायरस से संक्रमण से बचने के लिए शहर के कई लोगों ने गांव से आने वाले दूध को बंद कर दिया है। शहर में एक बड़ी संख्या ऐसे लोग हैं जिनके यहां दूध गांव से आकर ग्वाले दिया करते थे। दूध उत्पादन में लगे सुरेंद्र राय, महेश राय, संजीव राय, सुनील राय, पंकज राय आदि ने कहा कि प्रतिदिन उनका कई लीटर दूध बर्बाद हो रहा है। इससे काफी नुकसान हो रहा है।