मोतीपुर में शराब जब्ती : जमादार के साथ मिलकर थानेदार कर रहा था शराब का धंधा
निलंबित थानेदार व जमादार के विरुद्ध दर्ज कराई गई प्राथमिकी। डीएसपी पूर्वी को बनाया गया केस का आइओ, की छानबीन। थानेदार के बाद अब उसका सहयोगी जमादार भी फरार।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। मोतीपुर थाने के जमादार अमरीका प्रसाद के साथ मिलकर निलंबित थानेदार कुमार अमिताभ शराब का बिक्री का खेल कर रहा था। गिरफ्तारी के भय से कुमार अमिताभ फरार है। मामला तूल पकड़ते देख जमादार भी सोमवार को पुलिस के सामने भाग निकला। जबकि जांच के दौरान उक्त जमादार थाने पर उपस्थित था। अब उस जमादार की खोज शुरू कर दी गई है।
पूरे मामले में कहीं न कहीं पुलिस की चूक सामने आ रही। लेकिन दोनों की मुश्किलें कम होने वाली नहीं हैं। बताया गया कि थाना परिसर स्थित आवास से ही शराब की दोनों हेराफेरी करते थे। दोनों की मिलीभगत से जब्ती सूची में कम लिखने का खेल किया जाता था। इसके बाद जो अधिक शराब होता था उसे दोनों शराब माफिया से बेच देते थे।
इस बात का पर्दाफाश मद्य निषेध की आई विशेष टीम की छापेमारी में हो चुका है। निलंबित थानाध्यक्ष के आवास से जब्ती सूची से अधिक शराब बरामद होने के बाद यह पूरी तरह से स्पष्ट हो गया था कि थानाध्यक्ष द्वारा शराब बिक्री का खेल किया जाता था। मामले में निलंबित थानाध्यक्ष व जमादार अमरीका प्रसाद को नामजद आरोपित किया गया है।
इस केस के आइओ डीएसपी पूर्वी गौरव पांडेय को बनाया गया है। डीएसपी ने मंगलवार को मोतीपुर पहुंचकर पूरे मामले की जांच भी की। प्राथमिकी में निलंबित थानाध्यक्ष के आवास से 66 लीटर अवैध शराब, नकदी 92 हजार सात सौ रुपये, एक डेबिट कार्ड, एक मोबाइल फोन, एक पेन ड्राइव बरामद होने की बात जिक्र किया गया है। लेकिन, फरार थानाध्यक्ष की गिरफ्तारी पुलिस के लिए चुनौती बनी है।
फरार थानाध्यक्ष ने किसी से भेजवाया सरकारी मोबाइल
गिरफ्तारी की भय से फरार चल रहे निलंबित थानेदार कुमार अमिताभ ने अपने एक परिचित के हाथ थाने पर सरकारी मोबाइल भेजवा दिया है। सरकारी मोबाइल नए थानाध्यक्ष को मिल गया है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि नए थानाध्यक्ष के पास सरकारी मोबाइल कैसे पहुंचा? इसका जवाब पुलिस अधिकारियों के पास नहीं है।
अगर पुलिस चाहती तो जिसके हाथ से मोबाइल भेजा गया। उसको हिरासत में लेकर निलंबित थानेदार की गिरफ्तारी सुनिश्चत की जाती। बता दें कि जिस सरकारी मोबाइल को पुलिस अधिकारियों द्वारा खोजा जा रहा था। वह मोबाइल दो दिनों बाद थाने तक पहुंचना पुलिस तंत्र के लिए सवालिया निशान हैं। धंधा