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शिव के 'कोतवाल' हैं भैरव

भगवान शिव की सुरक्षा और उनके आदेश को मानने के लिए उनके गण सदैव तत्पर रहते हैं।

By Edited By: Published: Wed, 10 Aug 2016 02:44 AM (IST)Updated: Wed, 10 Aug 2016 02:44 AM (IST)
शिव के 'कोतवाल' हैं भैरव

मुजफ्फरपुर। भगवान शिव की सुरक्षा और उनके आदेश को मानने के लिए उनके गण सदैव तत्पर रहते हैं। उनके गणों में भैरव को सबसे प्रमुख माना जाता है। उसके बाद नंदी का नंबर आता है और फिर वीरभद्र। जहां भी शिव मंदिर स्थापित होता है, वहां कोतवाल के रूप में भैरव जी की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है। बाबा गरीबनाथ मंदिर के पुजारी पं.अभिषेक पाठक कहते हैं, भैरव दो हैं - काल भैरव और बटुक भैरव। दूसरी ओर वीरभद्र भगवान शिव का एक बहादुर गण था, जिसने शिव के आदेश पर दक्ष प्रजापति का सिर धड़ से अलग कर दिया था। पुराणों के अनुसार, शिव ने अपनी जटा से वीरभद्र को उत्पन्न किया था। उनके प्रमुख गण थे - भैरव, वीरभद्र, मणिभद्र, चंदिस, नंदी, श्रृंगी, भृंगी, रिटी, शैल, गोकर्ण व घंटाकर्ण। इनके अलावा पिशाच, दैत्य, नाग-नागिन और पशुओं को भी शिव का गण माना जाता है। ये सभी गण धरती और ब्रह्मांड में विचरण करते रहते हैं और प्रत्येक मनुष्य व आत्मा की खैर-खबर रखते हैं। शिव के गण और द्वारपाल नंदी ने ही कामशास्त्र की रचना की थी, जिसके आधार पर ही कामसूत्र लिखा गया था।

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