बालिका गृह में बच्चियों से यौन शोषण का भंडाफोड़
मुजफ्फरपुर। साहू रोड स्थित सेवा संकल्प एवं विकास समिति द्वारा संचालित बालिका गृह में बालिकाओं से यौ
मुजफ्फरपुर। साहू रोड स्थित सेवा संकल्प एवं विकास समिति द्वारा संचालित बालिका गृह में बालिकाओं से यौन शोषण व ¨हसा का मामला सामने आया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए सहायक निदेशक, बाल संरक्षण इकाई ने महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई है। पुलिस ने बालिका गृह के संचालक व कर्मियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।
बालिका गृह में अपनों से बिछड़ी व भूली-भटकी नाबालिग बच्चियों को रखा जाता है। ताकि, वे सुरक्षित रह सकें। मगर, पिछले दिनों टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस, मुंबई की 'कोशिश' टीम ने साहू रोड स्थित उक्त बालिका गृह में बालिकाओं के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार को सामने ला दिया। टीम ने रिपोर्ट में कहा कि बालिकाओं को यहां बेहद आपत्तिजनक स्थिति में रखा जाता है। यहां रहने वाली कई बालिकाओं ने बताया कि उसके साथ ¨हसा होती है। यौन शोषण किया जाता। टीम ने तत्काल मामले की जांच व बालिका गृह के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की। इस रिपोर्ट से हड़कंप मच गया। निदेशक, समाज कल्याण विभाग ने तत्काल कार्रवाई का आदेश दिया। साथ ही सभी बालिकाओं को यहां से हटाकर दूसरी जगह रखने को कहा।
खतरे को देखते हुए बालिका गृह से सभी 44 बालिकाओं को बुधवार को पटना, मोकामा एवं मधुबनी भेज दिया गया। इनमें 16 पटना, 14 मोकामा एवं 14 मधुबनी स्थानांतरित की गई।
सहायक निदेशक, जिला बाल संरक्षण इकाई ने शुक्रवार की शाम महिला थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई। महिला थानेदार ज्योति कुमारी ने बताया कि मामले में पोक्सो एक्ट व दुष्कर्म की धाराओं में कांड अंकित कर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। वहीं नगर डीएसपी मुकुल कुमार आनंद ने कहा कि संस्था पर गंभीर आरोप लगा है। प्राथमिकी दर्ज कराई गई है। मामले की जांच कर आगे की कार्रवाई की जा रही है। देर शाम पुलिस टीम संस्था के ठिकानों पर पहुंचकर जांच की।
टीम की रिपोर्ट के विपरीत बालिका गृह की अधीक्षक इंदु कुमारी ने कहा कि जगह की कमी के कारण इन्हें स्थानांतरित किया गया है। वहीं देर शाम तक बाल संरक्षण इकाई के सहायक निदेशक भी मामले को छिपाए रहे। उन्होंने प्राथमिकी दर्ज किए जाने की बात भी मीडिया को नहीं बताई। इतना ही नही बुधवार को यहां से दूसरे जिले में गुपचुप तरीके से ही बालिकाओं को शिफ्ट किया गया। इससे विभाग की कार्यशैली पर भी सवाल उठ रहा।
बालिका गृह की सोशल ऑडिट के बाद यह मामला सामने आया। यहां यह भी सवाल उठ रहा कि अगर यह जांच नहीं होती तो बालिकाओं से यौन शोषण जारी रहता।