सात समुंदर पार, फिर भी अपने गांव के लोगों की मदद में बढ़ा रहे हाथ
शरीर भले ही सात समुंदर पार है, पर दिल तो ¨हदुस्तान में ही बसता है। जहां बचपन बीता उस माटी की खुशबू नहीं भूलती। तभी तो ज्योतिनारायण भारती समय-समय पर आस्ट्रेलिया से अपने गांव देकुली धर्मपुर आते रहते हैं।
मुजफ्फरपुर। शरीर भले ही सात समुंदर पार है, पर दिल तो ¨हदुस्तान में ही बसता है। जहां बचपन बीता उस माटी की खुशबू नहीं भूलती। तभी तो ज्योतिनारायण भारती समय-समय पर आस्ट्रेलिया से अपने गांव देकुली धर्मपुर आते रहते हैं। यहां सामाजिक कार्यो में हिस्सा लेते हैं। लोगों की मदद करते हैं। यहां विवाह भवन का निर्माण भी कराया है।
ज्योतिनारायण भारती की प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुई। नवाब उच्च विद्यालय से मैट्रिक परीक्षा पास की। उच्च शिक्षा एवं लॉ की पढ़ाई 1985 में कोलकाता से पूरी की। 1987 में ऑस्ट्रेलिया चले गए। मेहनत के बल पर वहां अधिवक्ता के रूप में पहचान बनाई। अभी सिडनी में रहते हैं। 75 वर्ष के होने के बाद भी काम करने का जज्बा किसी युवा से कम नहीं है। उनकी गिनती वहां के अच्छे अधिवक्ताओं में होती है।
90 लाख खर्च कर बनवाया विवाह भवन : ज्योतिनारायण का मातृभूमि से लगाव कम नहीं हुआ है। यहां के लोगों के संपर्क में रहते हैं। समय-समय पर सामाजिक कार्यो में मदद करते हैं। अभी देकुली धाम के पास आकर्षक विवाह भवन का निर्माण वर्ष 2010 में कराया। इस पर करीब 90 लाख रुपये खर्च हो चुके हैं। थोड़ा बहुत काम बाकी है। हालांकि इसका सामाजिक इस्तेमाल हो रहा है। इससे लोगों को काफी सुविधा हो रही है।
गांव में रहता भाइयों का परिवार :
ज्योतिनारायण के परिवार का कोई भी यहां नहीं रहता, लेकिन उनके बड़े भाई जगदीश, हरिनारायण, संजय और सुमित भारती रहते हैं। इन लोगों का कहना है कि ज्योतिनारायण शुरू से ही मेधावी थे। उनका सपना कुछ अलग करना था। इसके लिए कड़ी मेहनत से पीछे नहीं हटते थे। अपने बच्चों को भी उन्होंने इसी तरह की शिक्षा दी है। तभी तो उनकी दो बेटी और एक बेटा विदेश में ही हैं। बेटी प्रीति भारती जापान में इंजीनियर है तो दूसरी बेटी कंचन ऑस्ट्रेलिया में ही प्रसिद्ध दंत चिकित्सक। बेटा अवनीश पहले हैदराबाद में कारोबार करता था, लेकिन 2012 में ऑस्ट्रेलिया शिफ्ट हो गया। अब लॉ की पढ़ाई कर पिता की विरासत संभालने के लिए उनके साथ रहता है।
2013 में किया गया था सम्मानित : ज्योतिनारायण को शिवहर जिला बार एसोसिएशन ने वर्ष 2013 में सम्मानित किया था। तब उन्होंने भारत एवं ऑस्ट्रेलिया की न्याय व्यवस्था पर व्याख्यान दिया था। ज्योतिनारायण कहते हैं कि किसी भी क्षेत्र में हमें लक्ष्य तय कर ईमानदारी से प्रयास करना होगा। सफलता निश्चित ही कदम चूमेगी। कहा कि मातृभूमि को भुलाया नहीं जा सकता। भले ही शिवहर सिडनी जैसा नहीं है, लेकिन यहां जो बात है, वहां पर नहीं।