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समस्तीपुर में पालक का साग खाने से एक ही परिवार के सात सदस्य बीमार, मानसिक रोगी जैसा कर रहे व्यवहार

समस्‍तीपुर जिले के पटोरी के फतेहपुर गांव की घटना। पालक का साग खाने से एक ही परिवार के सात सदस्‍य बीमार हो गए। वे सभी ऐसा व्यवहार करने लगे जैसे मानसिक रोगी करते हैं।

By Murari KumarEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 06:51 PM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2020 06:51 PM (IST)
समस्तीपुर में पालक का साग खाने से एक ही परिवार के सात सदस्य बीमार, मानसिक रोगी जैसा कर रहे व्यवहार
समस्तीपुर में पालक का साग खाने से एक ही परिवार के सात सदस्य बीमार, मानसिक रोगी जैसा कर रहे व्यवहार

समस्तीपुर, जेएनएन। पटोरी की चकसाहो पंचायत के फतेहपुर गांव में पालक का साग खाने से एक ही परिवार के सात सदस्य बीमार हो गए। गुरुवार को हालत बिगड़ने पर सभी को पटोरी के अनुमंडलीय अस्पताल में भर्ती कराया गया। इलाज में जुटे चिकित्सक डॉ. भूषण कुमार ने बताया कि सभी लोगों में ओवर एक्साइटमेंट (मानसिक बेचैनी) के लक्षण दिखाई पड़ रहे। इस प्रकार की परेशानी साग में इस्तेमाल की जानेवाली कीटनाशी के प्रभाव से होती है। पीड़ित लोगों में बिजली सदा, उनके पिता नथुनी सदा, पत्नी संगीता देवी, बेटी सुमन, रवीना, पुत्र करण तथा बहन बबीता कुमारी हैं।

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मानसिक रोगी जैसा कर रहे व्‍यवहार

बिजली पासवान मोगलचक गांव के मुन्ना कुमार के यहां काम करने गया था। वहीं मुन्ना कुमार के घरवालों ने अपने खेत में लगे पालक का साग दिया। घर  लाकर बुधवार की रात सभी ने साग खाया। खाने के एक घंटे के बाद सभी की तबीयत बिगड़ने लगी। वे सभी ऐसा व्यवहार करने लगे जैसे मानसिक रोगी (mental patient) करते हैं। 

अन्य शारीरिक प्रक्रियाएं सामान्य

पीड़ितों की जांच के पश्चात डॉ. भूषण कुमार ने बताया कि इनकी अन्य शारीरिक प्रक्रियाएं सामान्य हैं। किंतु, इनमें ओवर एक्साइटमेंट के लक्षण दिखाई दे रहे। उन्होंने बताया कि सभी को अस्पताल में विशेष निगरानी में रखा गया है। स्थिति सामान्य नहीं होने पर रेफर कर दिया जाएगा। उन्होंने संभावना व्यक्त की कि पालक पर कीटनाशक दवाओं का प्रयोग किया गया होगा। निश्चित अवधि के पूर्व ही उसका उपयोग किया गया है। इससे सभी की तबीयत बिगड़ गई।

 इधर, कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि साग पर कीटनाशक के रूप में क्लोरी पाइरी फॉस तथा एंजाइम के रूप में मल्टीप्लेक्स और अन्य पोषक तत्वों का छिड़काव किया जाता है। छिड़काव के बाद 72 घंटे तक साग का प्रयोग वर्जित किया जाता है। इस अवधि में ऐसे साग का प्रयोग करने से कई तरह के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।


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