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सिर्फ तीन खोजी कुत्तों के भरोसे सात जिलों की पुलिस, खर्च हो रहे सालाना लाखों रुपये

मिहिका ढूंढ़ता गोला-बारूद दिनकर और मोर्क करते ट्रैकिंग। खोजी कुत्तों की मदद से कितने केस हुए हल। इसका दस्ते के पास नहीं कोई आंकड़ा।

By Ajit KumarEdited By: Published: Tue, 02 Apr 2019 09:25 AM (IST)Updated: Tue, 02 Apr 2019 09:25 AM (IST)
सिर्फ तीन खोजी कुत्तों के भरोसे सात जिलों की पुलिस, खर्च हो रहे सालाना लाखों रुपये
सिर्फ तीन खोजी कुत्तों के भरोसे सात जिलों की पुलिस, खर्च हो रहे सालाना लाखों रुपये

मुजफ्फरपुर, [मुकेश कुमार 'अमन']। आज जर्मन शेफर्ड, रोटवीलर, डावरमैन, अमेरिकन बुलडॉग जैसी नस्ल के कुत्ते पुलिस और फौज के लिए खरीदे जाते हैं। जिससे जांच व खोजबीन में मदद मिले। मगर, मुजफ्फरपुर डॉग स्क्वॉयड में केवल लेबराडोर नस्ल के तीन कुत्ते हैं। इतना ही नहीं, उनकी सेहत भी अच्छी नहीं है। ऐसे में इनकी क्षमता का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है।

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   मुजफ्फरपुर और आसपास के सात जिलों में होने वाली उग्रवादी व अन्य बड़ी आपराधिक घटनाओं के बाद की सभी पुलिस जांच इन्हीं कुत्तों के भरोसे है। इससे इन कुत्तों पर काम का दबाव है। लेबराडोर नस्ल के कुत्तों को स्नीफर और ट्रैकर के तौर पर प्रशिक्षित होने के दावे तो किए जाते हैं, मगर देखने से तो ऐसा प्रतीत नहीं होता। फाइटिंग डॉग के नाम पर इसे शो पीस बनाकर रखा गया है। सलाना लाखों रुपये इन पर खर्च भी हो रहे हैं।

'गोमती' व 'फॉक्स' की हो चुकी मौत

आसपास के सात जिलों की जिम्मेदारी निभाने वाले मुजफ्फरपुर के डॉग स्क्वॉयड की अपनी समस्याएं भी कम नहीं हैं। इसमें महज तीन ट्रेंड कुत्ते हैं, जिनकी उचित देखभाल नहीं हो पाती। हैंडलर बताते हैं कि इकलौता 'मिहिका' के जिम्मे बम और विस्फोटकों की खोज की जिम्मेदारी है। उसके एक साथी 'गोमती' की मौत हो चुकी है। चोरी की घटनाओं के उद्भेदन के लिए ट्रैकर के तौर पर 'दिनकर' और 'मोर्क' आए हैं।

   जांबाज 'फॉक्स' नवंबर माह में दुनिया को अलविदा कह गया। स्नीफर डॉग छुपाकर रखे गए विस्फोटक तथा हथियारों का पता लगाते हैं। ट्रैकर घटनास्थल पर मिले कपड़े या कोई अन्य साक्ष्य को सूंघकर आरोपी तक पहुंचने का प्रयास करते हैं। इन कुत्तों की मदद से अबतक कितने केस हल हुए हैं, इसका कोई आंकड़ा दस्ते के पास नहीं है।

इन जिलों का है दारोमदार

वैशाली, शिवहर, सीतामढ़ी, मोतिहारी, बेतिया व बगहा जिलों को जब कभी जरूरत पड़ती है तो वे मदद मांगते हैं। इतने जिलों के बोझ के बावजूद डॉग स्क्वॉयड में महज तीन कुत्ते हैं। यह भी तब, जब शिवहर, सीतामढ़ी व मोतिहारी में नक्सली बड़ी चुनौती हैं।

'मिहिका' के दम पर नक्सली को चुनौती

नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में रखे गए विस्फोटकों तथा हथियारों के जखीरे का पता लगाने के लिए सिर्फ एक डॉग है। बूढ़े और बेजान हो चले इकलौते इस 'मिहिका' की बदौलत नक्सलियों को इस क्षेत्र में शिकस्त देने का दारोमदार है। फुर्तीला व जांबाज दस्ता तैयार कर नक्सलियों से लडऩे का ईमानदार प्रयास होता तो शायद नक्सलवाद को तोडऩे में एक बड़ी कामयाबी मिल सकती है। नक्सली अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में जमीन के भीतर टंकी बनाकर वहां विस्फोटक पदार्थ सहित हथियार छिपाते हैं और मौका मिलते ही बारूदी सुरंग विस्फोट करके बड़ी घटना को अंजाम देते हैं।

खानपान पर खर्च बेहिसाब

सरकार इनके प्रशिक्षण, रहन-सहन और खानपान पर हर साल लाखों रुपये खर्च करती है। एक माह में 50 हजार रुपए से अधिक खर्च होते हैं। एक खोजी कुत्ते का प्रतिदिन का भोजन दूध- 500 एमएल, मांस-930 ग्राम, चावल-233 ग्राम, सब्जी-117 ग्राम, आटा-117 ग्राम और पेडिगरी बिस्किट-100 ग्राम। इसके बाद हैंडलर व सहायक का वेतन, कैनल (कुत्ते का घर) आदि का खर्च।

समय पर नहीं पहुंच पाते कुत्ते

पुलिस लाइन के कैनल से पुलिस खोजी कुत्तों को लेकर घटनास्थल पर जाती है। इनका काम घटना कैसे हुई तथा उसके सुराग जुटाना है। अफसोस कि एक साल में कुछेक घटना में ही इनकी मदद मिल पाती है। डॉग स्क्वॉयड की विफलता का कारण उसका देरी से पहुंचना और घटना स्थल से अपराधियों की गंध मिटना है। घटना के कई घंटे बाद डाग स्क्वाड को बुलाया जाता है। तब तक कई लोग घटना स्थल पर घूम जाते हैं, जिनमें पुलिस, मीडिया व आमजन शामिल हैं। कई गंध होने से कुत्ता भ्रमित होता है। इससे हैंडलर उसे समझ नहीं पाता। घटना के आठ घंटे के अंदर कुत्ते को घटनास्थल पर पहुंचा दिया जाए तो सफलता मिलने की उम्मीद काफी बढ़ जाती है।हाल की घटनाओं से दूर ही रहे ये कुत्ते

सिर्फ सदर थाना क्षेत्र की बात करें तो बीते चार माह में चोरी-डकैती की तीन बड़ी घटनाएं सामने आई हैं। तीन मार्च की रात शेरपुर कायस्थ टोला में स्वर्ण कारोबारी के घर डकैती हुई। चार जनवरी को भिखनपुरा में एक शिक्षक घर नकदी समेत 20 लाख की संपत्ति चोरी गई। अतरदह के गुप्ता कॉलोनी में 10 दिसंबर की रात ट्रांसपोर्ट कर्मी के घर 15 लाख का सामान चोरी गया।

   इस प्रकार 40 लाख का माल चोरों व डकैतों ने इन तीन मामलों में उड़ाए। मगर, इन घटनाओं की छानबीन में ये कुत्ते कहीं नजर नहीं आए। एसएसपी मनोज कुमार ने कहा कि मेरे पास जो डॉग स्क्वायड हैं उनसे फिलहाल काम चल जा रहा है। सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर व वैशाली जिले में खास ऑपरेशन में इसका इस्तेमाल किया जाता है।


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