VTR में गैंडे के अधिवास के लिए बेहतर क्षेत्र की खोज शुरू, जानिए क्या बन रही रणनीति...
टाइगर रिजर्व के मदनपुर गोनौली व वाल्मीकिनगर वन क्षेत्रों में गैंडे के अधिवास को मिली है मंजूरी। अधिवास के साथ-साथ सुरक्षा देने की भी बन रही रणनीति।
पश्चिम चंपारण, जेएनएन। टाइगर रिजर्व के जंगलों में गैंडों के अधिवास की मंजूरी मिलने के बाद उनके अधिवास के लिए कौन सा वन क्षेत्र बेहतर है। इसकी जांच के लिए दो सदस्यीय टीम बगहा पहुंची ।
टीम का नेतृत्व वन प्रमंडल दो के डीएफओ गौरव ओझा कर रहे हैं। हाल के दिनों में वन मंत्रालय के द्वारा टाइगर रिजर्व के जंगलों में गैंडों के अधिवास की मंजूरी दी है। उक्त आदेश मिलने के बाद वन्य जीव के विशेषज्ञ विश्वंभर सिंह गोनाल, अमित शर्मा, डब्लूडब्लूएफ के वरीय प्रबंधक कमलेश कुमार मौर्य के साथ डीएफओ ने सोमवार को मदनपुर, गोनौली व वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र के विभिन्न उपखंडों का जायजा लिया।
डीएफओ ने बताया कि उक्त टीम गैंडों के निवास स्थल सहित उनकी सुरक्षा के लिए होने वाले प्रबंधन के संबंध में भी जानकारी ली।
यहां बता दें कि नेपाल से सटे होने के कारण टाइगर रिजर्व के जंगलों में चितवन नेशनल पार्क से गैंडे सहित अन्य जानवरों का आगमन भारतीय जंगल में होते रहता है। ऐसा नहीं है कि जानवर भारतीय क्षेत्र में आए तो स्वत: लौट गए। उन्हें पकडऩे के लिए नेपाल के वन अधिकारियों की टीम भारतीय क्षेत्र में आती रहती और यहां के वन अधिकारियों के सहयोग से अपने जानवरों को पकड़ कर ले जाती है। इसमें अधिकतर गैंडे ही शामिल होते हैं।
हर साल नेपाली गैंडे भारतीय क्षेत्र में अपना अधिवास क्षेत्र बना लेते हैं। इसके बाद भारतीय क्षेत्र के वन अधिकारियों को लगा कि अगर टाइगर रिजर्व के जंगलों में गैंडों को रखा जाय तो इससे पर्यटकों की संख्या भी बढ़ेगी और जलजमाव से खाली हो चुके जंगल की जमीन भी कामयाब हो जाएगी। फिर वन मंत्रालय से गैंडों को जंगल में रखने के लिए अनुमति मांगी गई थी। जहां से आदेश प्राप्त हो चुका है। इसके बाद वन्य जीव विशेषज्ञों की टीम गैंडों को रखने वाले इलाकों का भ्रमण करना शुरू कर दिया है।
डीएफओ ने बताया कि विशेषज्ञों की टीम जांच रिपोर्ट संबंधित विभाग को सौंपेगी। उसके बाद ही टाइगर रिजर्व के जंगलों में गैंडों को रखने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।