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World Tourism Day: स्थानीय धरोहरों की सहेजने से पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, खुलेंगे रोजगार के रास्ते

World Tourism Day ऐतिहासिकता समेटे है एलएस कॉलेज का तारामंडल जीर्णोद्धार कर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की जरूरत। अंग्रेजों ने एलएस कॉलेज में तारामंडल की स्थापना की थी। इसमें जर्मनी से मशीन मंगवाकर लगाया गया। लेेकिन दुर्भाग्य रहा कि इस धरोहर को सहेजा नहीं जा सका।

By Ajit KumarEdited By: Published: Sun, 27 Sep 2020 03:13 PM (IST)Updated: Sun, 27 Sep 2020 03:13 PM (IST)
World Tourism Day: स्थानीय धरोहरों की सहेजने से पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा, खुलेंगे रोजगार के रास्ते
दुर्भाग्य रहा कि इस धरोहर को सहेजा नहीं जा सका।

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। World Tourism Day: जिले में ऐतिहासिक धरोहरों की कमी नहीं है। लेकिन, जरूरत है उसे सहेजने की। विश्व पर्यटन दिवस पर प्रबुद्ध और सरकार को यह संकल्प लेना चाहिए कि इन्हें बचाने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए निरंतर प्रयास किए जाएं। इतिहास के विशेषज्ञ और बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के पीजी इतिहास विभाग के अध्यक्ष प्रो.अजीत कुमार बताते हैं कि अंग्रेजों ने एलएस कॉलेज में तारामंडल की स्थापना की थी। इसमें जर्मनी से मशीन मंगवाकर लगाया गया। लेेकिन, दुर्भाग्य रहा कि इस धरोहर को सहेजा नहीं जा सका। 

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भीतर की संरचना क्षतिग्रस्त

कहते हैं कि वे भी इसी कॉलेज के छात्र रहे लेकिन, आज तक इसे खुलते हुए नहीं देखा। इसकी स्थापना की गई थी ताकि विद्यार्थी ग्रह-नक्षत्र को देख और समझ सकें। साथ ही बाहर से भी लोग इसे देखने आएं। इसके साथ ही एलएस कॉलेज के भवन को भी धरोहर का दर्जा मिला हुआ है। इसके बाद भी इसके भीतर की संरचना क्षतिग्रस्त होने लगी है। इसे ऐतिहासिक धरोहर के रूप में संजो कर रखने से भी पर्यटन के क्षेत्र में बढ़ावा मिलेगा। इसकी बनावट और मजबूती को देखकर हर कोई दंग रह जाता है। उन्होंने कहा कि कटरा के चामुंडा स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना जरूरी है। क्योंकि इससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिलेगा और ट्रांसपोर्ट कारोबारियों को भी इसका लाभ मिलेगा। इससे आमद भी आएगी जिससे क्षेत्र का विकास हो सकेगा। जिलाधिकारी डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने कहा कि पर्यटन स्थलों का संरक्षण व संबद्धन हम सभी की जिम्मेदारी है। जिले में पर्यटन से जुड़े स्थलों के विकास के लिए निरंतर प्रयास किया जाएगा।

पर्यटन स्थलों के विकास के लिए किया जाएगा प्रयास

यह ऐतिहासिक व सांस्कृतिक जिला है। गंडक नदी के किनारे पर शहर बसा है। जिले में बौद्ध, गांधी व अन्य महापुरुषों से जुड़े कई स्थल है। बौद्ध से जुड़ा स्थल सरैया प्रखंड के कोल्हुआ में है। यहां सालों भर पर्यटक आते हैं। इसके अलावा यहां की लीची की मिठास और सुगंध विदेशों तक प्रसिद्ध है। बाबा गरीब नाथ मंदिर दर्शनीय स्थल में सबसे लोकप्रिय है। मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताओं के अनुसार बाबा गरीबनाथ धाम का तीन सौ साल पुराना इतिहास है। जुब्बा सहनी पार्क स्वतंत्रता सेनानी जुब्बा सहनी के नाम पर मिठनपुरा क्षेत्र में है। रामचंद्र शाही संग्रहालय, खुदीराम बोस स्मारक स्थल आदि और कई जिले में दर्शनीय है। चतुर्भुज स्थान मंदिर, रमना स्थित माता देवी मंदिर धरोहर के रूप में विद्यमान हैं। लेकिन कई वजहों से पर्यटक स्थल के रूप में विकसित नहीं हो पा रहे हैं।


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