kargil vijay diwas: सैटेलाइट इमेज कारगिल विजय में साबित हुआ था बहुत मददगार
kargil vijay diwas आज जैसी तकनीक होती तो दो माह नहीं चलती लड़ाई तुरंत घुटने टेक देते देश के दुश्मन।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। kargil vijay diwas: कारगिल युद्ध में सैनिकों के शौर्य के साथ तकनीक का भी जमकर प्रयोग हुआ था। ऊंचाई पर बैठे दुश्मनों की स्थिति पता करने में उस समय सैटेलाइट इमेज ने अहम भूमिका निभाई थी। हां, उस समय आज जैसी उच्च तकनीक एवं सुविधाएं नहीं थीं। आज जैसी उन्नत तकनीक एवं आधुनिक हथियार होते तो कारगिल युद्ध दो माह नहीं चलता और न ही बड़ी संख्या में जवानों को शहादत देनी पड़ती। यह कहना है सेवानिवृत्त मेजर जनरल एके सिन्हा का।
टाइगर हिल व हिल टॉप को जितने में सेना को मिली मदद
कारगिल युद्ध के समय मेजर जनरल सिन्हा एमओ (मिलिटेरी ऑपरेशन) निदेशालय के मिलिटेरी सर्वे विभाग में कर्नल के पद पर पदस्थापित थे। इस दौरान उनका काम सैटेलाइज इमेज के माध्यम से दुश्मन के कैंप और पोजिशन को नक्शे पर दर्शाकर डिजिटल फोरम में हर दिन युद्ध क्षेत्र में भेजना था। इन नक्शों की मदद से टाइगर हिल तथा अन्य हिल टॉप को आसानी से जितने में हमारी सेना को काफी मदद मिली। मेजर जनरल ने कहा कि इसका कोड नाम ऑपरेशन विजय रखा गया था जो मई 1999 से जुलाई 1999 तक चला और अंतिम पोस्ट पर 26 जुलाई कोजीत के साथ खत्म हुआ। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना के 527 अधिकारी और जवान शहीद हुए। 1467 जवान घायल हुए। मेजर जनरल सिन्हा पहली फरवरी 2017 को सेवानिवृत्त हुए। उसके पश्चात मुजफ्फरपुर के भगवानपुर क्षेत्र के सर गणेशदत्त नगर में रह रहे हैं।