Sanskarshala: नकारात्मक सोच की ओर ले जाता इंटरनेट मीडिया पर किया जाने वाला निजी दिखावा
फेसबुक पर लाइक्स की संख्या या इंस्टाग्राम पर फालोअर्स की संख्या से अपनी ख्याति और दूसरे की ख्याति की तुलना करना बस एक ख्याली पुलाव के अतिरिक्त कुछ नहीं है। हम सभी उस अवांछनीय दिखावे के जाल में उलझ कर रह जाते हैं।
होली मिशन सीनियर सेकेंडरी स्कूल के निदेशक जीके मल्लिक ने कहा कि सेलिब्रिटी की बात को छोड़ दें तो जो भी व्यक्ति इंटरनेट मीडिया पर निजी जिंदगी का अनावश्यक दिखावा करता है, वह संभवत: एटेन्सन डेफिसिएंसी हाइपरएक्टिव डिसआर्डर (एडीएचडी) यानी ध्यानाभाव अतिसक्रियता विकार से ग्रसित होता है। यह एक मानसिक विकार है। लोग अपनी निजी जिंदगी के संस्मरणों या तस्वीरों को डालकर उनलोगों का भी ध्यान अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं, जिन्हें उनकी निजी जिंदगी से कोई सरोकार नहीं है। वास्तविक में इस तरह के व्यक्ति की सामाजिक स्वीकार्यता तुलनात्मक दृष्टि से कम होती है।
किसी व्यक्ति विशेष के साथ अपनी अंतरंगता (भले ही वह पति हो या पत्नी, या फिर करीबी मित्र) को किस होटल में खा रहे या क्या खा रहे हैं, किस ब्रांड का कपड़ा पहन रहे हैं, कौन से ब्रांड का मोबाइल का प्रयोग कर रहे हैं, इसे इंटरनेट मीडिया पर सार्वजनिक कर किसी को आनंद का एहसास हो सकता है, लेकिन उसे यह नहीं पता होता है कि इंटरनेट मीडिया पर उनके ऐसे पोस्ट को देख उनके मित्रगण, परिचित और परिवार के लोग उनके विषय में क्या सोच रहे होंगे। फेसबुक पर लाइक्स की संख्या या इंस्टाग्राम पर फालोअर्स की संख्या से अपनी ख्याति और दूसरे की ख्याति की तुलना करना बस एक ख्याली पुलाव के अतिरिक्त कुछ नहीं है। हम सभी उस अवांछनीय दिखावे के जाल में उलझ कर रह जाते हैं। इसका नशा हमारे दिमाग को जकड़ लेता है। क्योंकि यह नशा हमें सृजनात्मक सोच से अधिक ऋणात्मक सोच की ओर ले जाता है। ऐसा लगता है कि वास्तविक जिंदगी में व्यक्तिगत संबंधों की कमी होने के कारण लोगों का झुकाव काल्पनिक संबंधों की ओर होता है। अपने एकाकीपन को कम करने और अपनी स्वीकार्यता के लिए दूसरों को प्रेरित करने के उद्देश्य से भी लोग इंटरनेट मीडिया पर निजी जिंदगी का अनावश्यक दिखावा करते हैं।
संतुलित विकास पर गहरा असर डालता निजी दिखावा
इंद्रप्रस्थ इंटरनेशनल स्कूल के डायरेक्टर एडमिन व वाइस प्रेसिडेंट अनन्या वर्मा ने कहा कि आज हम अपनी जिंदगी के पल-पल का अपडेट इंटरनेट मीडिया पर करते हैं। कई बार तो अनावश्यक दिखावा के लिए भी लोग इस प्लेटफार्म का उपयोग कर रहे हैं। इंटरनेट मीडिया पर नकारात्मक सूचनाएं आम हो गई हैं। अनावश्यक प्रचार-प्रसार या गलतफहमी हमारे लिए अभिशाप बन जाते हैं। इंटरनेट सुविधा हमारे जीवन में प्रगति व निरंतर विकास की एक सीढ़ी है। वह सीढ़ी हमें प्रगति की कितनी ऊंचाइयों पर ले जाती है यह महत्वपूर्ण प्रश्न है। आज प्रयोगशाला से खेत-खलिहान तक इंटरनेट मीडिया आमजीवन की जरूरत बन गया है। जिस मोबाइल से हम विदेशों में अपने संदेश भेजते हैं, उस मोबाइल की आवश्यकता पर हमने कभी गौर नहीं किया। बच्चे नैतिकता का सबक न सीख कर उसका उपयोग अपने जीवन में नकारात्मक प्रवृति के विकास में कर रहे हैं।
इंटरनेट मीडिया पर निजी जिंदगी से जुड़ी जानकारियों का अत्यधिक प्रचार-प्रसार नहीं करना चाहिए। इसका सही उपयोग ही राष्ट्र की सच्ची प्रगति और उन्नति है। हमें इंटरनेट मीडिया का सदुपयोग करना है ताकि समस्त क्षेत्र में इसकी उपलब्धि और आवश्यकताओं को अनुभव कर सकें। यह साधन है विकास का, इसलिए इसका समुचित विकास तभी संभव है जब इसका हम आंतरिक मूल्यांकन कर सकेंगे। अनावश्यक किसी चीज का प्रचार-प्रसार नहीं करेंगे। खासकर अपनी निजी जिंदगी से जुड़ी बातों को इंटरनेट मीडिया पर डालकर दिखावा करने से बचना चाहिए। इसपर निजी जिंदगी का अनावश्यक दिखावा करने की जगह खासकर किशोर व युवा वर्ग को अपने आप को खेलकूद, सामाजिक कार्यों, अच्छी पुस्तकों और अच्छे दोस्तों की संगति में अपना समय व्यतीत करना चाहिए। इस मीडिया का अत्यधिक उपयोग युवाओं में चिड़चिड़ापन, चिंता, तनाव, अवसाद, गुस्सा व नींद नहीं आने जैसी मानसिक समस्याएं उत्पन्न करता है। यह युवाओं के संतुलित विकास पर गहरा असर डाल सकता है।