West Champaran News : वन और वन्यजीवों की सुरक्षा में वनरक्षियों की भूमिका अहम, दी गई तकनीकी जानकारी
प्रशिक्षण में बाघों की सुरक्षा एवं संरक्षण की भी जानकारी दी गई। वीटीआर में प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के उपकरणों का संक्षिप्त परिचय तथा जीपीएस रेंज फाइन्डर कैमरा ट्रैप डेमो का लोकेशन पग मार्क मापने की विधि क्षेत्र भ्रमण अधिवास प्रबंधन की जानकारी आदि से अवगत कराया गया।
पश्चिम चंपारण, जेएनएन। वन एवं वन्य जीवों की सुरक्षा, कैमरा ट्रैप लगाने तथा इको टूरिज्म के बाबत गोनौली स्थित वन विभाग के विश्रामागार में वनरक्षियों का प्रशिक्षण कार्यक्रम संपन्न हुआ। प्रशिक्षण में बाघों की सुरक्षा एवं संरक्षण की भी जानकारी दी गई। प्रशिक्षण के क्रम में वीटीआर में प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के उपकरणों का संक्षिप्त परिचय तथा जीपीएस रेंज फाइन्डर, कैमरा ट्रैप, डेमो का लोकेशन, पग मार्क मापने की विधि, क्षेत्र भ्रमण, अधिवास प्रबंधन की जानकारी आदि से अवगत कराया गया। शाकाहारी व मांसाहारी जीवों के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष चिन्हों की पहचान आदि की जानकारी भी कर्मियों को मिली। वन मंत्रालय के आदेश के आलोक में इन वनरक्षियों को जंगल और जानवरों की सुरक्षा संरक्षण करने की जानकारी दी गई है। मौके पर वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के वन प्रमंडल डीएफओ मनीष कुमार वर्मा, सहायक वन संरक्षक अशित कुमार, गनौली वनक्षेत्र अधिकारी अवधेश प्रसाद ङ्क्षसह आदि वन अधिकारी मौजूद थे।
अज्ञात वाहन की चपेट में आने से जंगली सुअर की मौत
वीटीआर में अज्ञात वाहन की चपेट में आने से जंगली सुअर की मौत हो गई। मामले में वन अधिनियम के तहत अज्ञात वाहन चालक के विरुद्ध अपराध दर्ज किया जा रहा है। पोस्टमार्टम के पश्चात सुअर का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। घटना शनिवार की अहले सुबह जटाशंकर चेक नाका के समीप हुई। जंगली क्षेत्र होने के कारण यहां वन्यप्राणियों की आवाजाही लगी रहती है। लगभग 60 किलो वजन का नर सुअर जंगल से गंडक कालोनी की ओर जाने के लिए सड़क पार कर रहा था।
इसी बीच अज्ञात वाहन की चपेट में आ गया। जिससे उसकी मौत घटनास्थल पर हो गई। मामला वन्यप्राणी का होने के कारण तत्काल इसकी जानकारी वनक्षेत्र पदाधिकारी महेश प्रसाद को दी गई। इस बाबत रेंजर महेश प्रसाद ने बताया कि चिकित्सक की देखरेख में पोस्टमार्टम के पश्चात मृत सुअर का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। ग्रामीणों की मानें तो इस तरह की घटनाएं इस क्षेत्र में पहले भी हो चुकी है। भोजन की तलाश में वन्यप्राणी इधर-उधर भटकते रहते हैं। वन्यप्राणी बस्ती की तरफ न पहुंचे इसके लिए विभाग के पास कोई योजना नहीं है।