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नाक के नीचे नियमों का उल्लंघन, आंख के सामने जाम

यातायात नियमों के उल्लंघन और लापरवाही से होने वाली जाम की समस्या शहरवासियों के लिए नासूर बन चुकी है। चौक-चौराहों से लेकर एनएच व एसएच तक जाम की चपेट में हैं।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 12:46 AM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 12:46 AM (IST)
नाक के नीचे नियमों का उल्लंघन, आंख के सामने जाम
नाक के नीचे नियमों का उल्लंघन, आंख के सामने जाम

मुजफ्फरपुर। यातायात नियमों के उल्लंघन और लापरवाही से होने वाली जाम की समस्या शहरवासियों के लिए नासूर बन चुकी है। चौक-चौराहों से लेकर एनएच व एसएच तक जाम की चपेट में हैं। जाम में फंस कर कहीं मरीजों की मौत हो रही तो कहीं कर्मी समय से दफ्तर नहीं पहुंच पा रहे। यह स्थिति तब है, जब शहर की यातायात व्यवस्था को सुचारु रखने के लिए पुलिस बल तैनात है।

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हालांकि, जाम की समस्या के लिए पुलिस-प्रशासन को ही अंतिम रूप से जिम्मेदार ठहराना उचित नहीं है। सड़कों पर अतिक्रमण, यातायात नियमों का उल्लंघन, वाहन चालकों की मनमानी और ओवरटेक भी जाम की बड़ी वजह हैं। हां, यह जरूर सवाल है कि यातायात नियमों का उल्लंघन कर जाम लगाने वाले वाहन मालिकों पर कार्रवाई करनेवाले अपने दायित्वों का निर्वहन क्यों नहीं कर रहे? उनकी नाक के नीचे तमाम नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं, इससे आंखों के सामने जाम लग रहा। विभागीय अधिकारी मानव संसाधनों का रोना रोते हैं, मगर इसमें भी सवाल है कि जानलेवा बन चुकी समस्या का आखिर निदान है क्या?

सभी प्रमुख सड़कें रहतीं जाम की चपेट में : शहर के अघोरिया बाजार, जुरनछपरा, सरैयागंज टावर, अखाड़ाघाट, जीरो माइल चौक, इमलीचट्टी, कंपनीबाग, सदर अस्पताल रोड, मोतीझील पुल आदि समेत कई इलाकों की सड़कें हर दिन जाम की चपेट में रहती हैं। इन सभी जगहों पर यातायात व्यवस्था संभालने के लिए होमगार्ड या पुलिस जवान तैनात हैं। इसके बाद भी यहां लगने वाला जाम नियंत्रित नहीं हो पाता। कभी-कभार जांच-पड़ताल में पकड़े जाने पर ले-दे कर मामला निपट जाता है। मतलब साफ है कि ऐसे लोगों में सिस्टम का भय नहीं है।

खूब चलती ऑटो चालकों की मनमानी : ऑटो चालकों के आगे तो हर कोई पस्त है। जिला प्रशासन, पुलिस और परिवहन विभाग तो नतमस्तक हैं। ऑटो संघ का भी कोई जोर नहीं। इनके लिए कायदा-कानून का कोई महत्व नहीं। किराया अपना, पार्किंग अपनी और ठहराव भी मनमाना। जहां चाहा, वहीं ऑटो खड़ा कर यात्रियों का चढ़ा लिया और उतार दिया। उनके पीछे जाम लगता है तो लगे। मुजफ्फरपुर ऑटो रिक्शा कर्मचारी संघ द्वारा चालकों को पहचानपत्र दिया गया। सख्ती के साथ निर्देश दिये गए कि इसे गले में लटकाकर ही ऑटो चलाना है। ऑटो चालकों के लिए ड्रेस कोड लागू किया गया। पीले रंग की ड्रेस दी गई। शर्ट की जेब पर ऑटो संघ का नाम व चालक का नाम लिखा गया। कुछ चालकों ने इसे अपनाया, बाकि हवा-हवाई ही रही। बात सिर्फ इतनी ही नहीं है, अधिकतर चालकों के पास कमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस भी नहीं हैं। गाड़ी के कागजात भी आधे-अधूरे।

ड्राइविंग लाइसेंस के लिए

झेलनी पड़ती पीड़ा : ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया ऑनलाइन की गई है। आवेदक को ऑनलाइन आवेदन करना होता है। लर्निग व परमानेंट के लिए जांच की व्यवस्था की गई है। परमानेंट लाइसेंस, ऑनरबुक आदि घर के पते पर भेजने के लिए 50 रुपये भी लिये जाते हैं, मगर इसके बाद भी वाहन मालिकों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। दलालों के चंगुल में फंस कर आर्थिक शोषण का शिकार हो जाते हैं। हालांकि, परिवहन विभाग की अधिकतर सेवाएं आरटीपीएस के तहत हैं। सभी के लिए समय भी निर्धारित है। अगर, समय पर काम न हो तो अपील की जा सकती है।

ये है निर्धारित समय-सीमा

- लर्निग लाइसेंस : 07 दिन

- ड्राइविंग लाइसेंस : 30 दिन

- ड्राइविंग लाइसेंस की द्वितीय प्रति का निर्गमन : 07 दिन एवं द्वितीय का 15 दिन।

- ड्राइविंग लाइसेंस का स्मार्ट कार्ड में परिवर्तन : 05 दिन।

- इंटरनेशनल ड्राइविंग लाइसेंस : 15 दिन

- वाहनों का अस्थायी निबंधन : 07 दिन

- नये निजी वाहनों एवं परिवहन वाहनों का निबंधन : 30 दिन

- निबंधन प्रमाणपत्र की द्वितीय प्रति : 07 दिन

- निबंधन प्रमाण का नवीनीकरण : 15 दिन।

- वाहनों के निबंधन का रद्दीकरण : 45 दिन।

- ट्रेड सर्टिफिकेट का निर्गमन व नवीनीकरण : 15 दिन।

- कर प्रतीक का निर्गमन : 01 दिन।

- वाहनों का प्रत्यर्पण : 15 दिन।

- पेट्रोल पंप लाइसेंस व नवीनीकरण : 15 दिन।

- परिवहन वाहनों के दुरुस्ती प्रमाण का निर्गमन व नवीनीकरण : 15 दिन।

- दुर्घटनाग्रस्त वाहनों का जाच प्रतिवेदन : 15 दिन।

- दुरुस्ती प्रमाणपत्र की द्वितीय प्रति का निर्गमन : 07 दिन।

- कर छूट/वापसी के आवेदनों का अग्रसारण : 30 दिन।


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