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बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में पांच सौ नन टीचिंग कर्मचारियों की बहाली प्रक्रिया शुरू

कॉलेजों से मांगी गई रिक्तियां आधा से अधिक पद खाली। 1983-84 के बाद नहीं हुई बहाली अनुकंपाधारी व आउटसोर्सिंग कर्मी संभाल रहे काम।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 13 Jun 2019 12:58 PM (IST)Updated: Thu, 13 Jun 2019 03:55 PM (IST)
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में पांच सौ नन टीचिंग कर्मचारियों की बहाली प्रक्रिया शुरू
बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में पांच सौ नन टीचिंग कर्मचारियों की बहाली प्रक्रिया शुरू

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में नन टीचिंग स्टाफ की कमी दूर करने के लिए रिक्तियों के हिसाब से बहाली होने वाली है। प्रभारी कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने कहा कि अनुमान के मुताबिक विश्वविद्यालय के सभी 22 विभागों, प्रशासनिक कार्यालय समेत तमाम कॉलेजों में करीब पांच सौ कर्मचारी बहाल किए जा सकते हैं। सरकार से बहाली की मंजूरी प्राप्त हो चुकी है। विश्वविद्यालय यह बहाली खुद करेगा। ननटीचिंग कर्मचारियों की रिक्तियों की जानकारी कॉलेजों से मांगी गई है। उनके स्वीकृत, भरे हुए, रिक्त एवं आउटर्सोसिंग के तहत कार्यरत कर्मचारियों के बारे में सूचना ली जा रही है। रजिस्ट्रार व सीसीडीसी को भी स्टाफ की जरूरतों के बारे में खोजबीन करने को कहा गया है।

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आधा से अधिक पद खाली

पुराने 13 विवि में शिक्षकेतर कर्मियों की संख्या महज 10 से 12 हजार बची है, जबकि इनके स्वीकृत पद 25 से 30 हजार हैं। इस तरह आधा से ज्यादा पद खाली पड़े हुए हैं। 1983-84 के बाद से किसी विवि में शिक्षकेतर कर्मियों की नियुक्ति ही नहीं हुई है। बीच-बीच में अनुकंपा के आधार पर कुछ लोगों की नियुक्ति हुई है और उनकी बदौलत ही कामकाज खींचा जा रहा है।

ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए नई गाइडलाइन

यूनिवर्सिटी ऑफिस, पीजी डिपार्टमेंट्स के साथ कॉलेजों में भी ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए गाइडलाइन तैयार होने जा रही है। यूनिवर्सिटी ऑफिस, पीजी डिपार्टमेंट्स के कर्मचारी बाहर भेजे जा सकते हैं। एकेडमिक एवं प्रशासनिक कार्य इसके चलते प्रभावित हो रहे हैं। राजभवन ने तीन कुलपतियों की समिति गठित की है, जो ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए मसौदा प्रारूप तैयार कर रही है। साथ ही कॉलेजों व विश्वविद्यालयों में नई नियुक्तियों के लिए तौर-तरीकों के बारे में भी सुझाव देगी।

 इस समिति में पटना विवि के कुलपति प्रो. रासबिहारी प्रसाद सिंह, नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के प्रो. आरके सिन्हा, एमएमएच अरबिक एंड पर्सियन यूनिवर्सिटी के प्रो. खालिद मिर्जा शामिल किए गए हैं। गौरतलब है कि बिहार विश्वविद्यालय में कर्मचारियों के साथ मारपीट को लेकर कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। काफी दिन कामकाज भी प्रभावित हुआ।

विवि की वेबसाइट पर हिंदी में मिलेगी जानकारी 

विवि की वेबसाइट पर सिर्फ अंग्रेजी में जानकारी को लेकर छात्रों की नाराजगी के बाद प्रभारी कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने शीघ्र ही इसमें तब्दीली की बात कही है। 'दैनिक जागरणÓ ने अपने 11 जून के अंक में इस मामले को प्रमुखता के साथ प्रकाशित किया था। विवि प्रशासन ने इसपर संज्ञान लेते हुए छात्र हित में बदलाव की पहल की है। प्रभारी कुलपति ने बुधवार को जागरण से कहा कि विवि की वेबसाइट को अपग्रेड किया जा रहा है।

 सभी जानकारियां हिंदी भाषा में भी अपलोड करने के आदेश दिए जा चुके हैं। स्नातक पार्ट वन में नामांकन के लिए ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया सिर्फ अंग्रेजी में होने के सवाल पर प्रभारी कुलपति ने कहा कि फॉन्ट मिसिंग के चलते ङ्क्षहदी में वेबसाइट अपडेट नहीं हो पा रही थी। तकनीकी गड़बड़ी के चलते जल्दबाजी में सिर्फ अंग्रेजी में एडमिशन की गाइडलाइन जारी की गई।

छात्रों की आपत्ति पर प्रभारी कुलपति गंभीर

छात्र लोजपा के विश्वविद्यालय अध्यक्ष गोल्डेन सिंह व छात्र जदयू नेता ठाकुर प्रिंस ने अंग्रेजियत पर ही सवाल उठाया था। कहा था कि विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर नामांकन से संबंधित जो गाइडलाइन अपलोड की गई है वह अंग्रेजी भाषा में होने के चलते छात्रों को समझने में परेशानी हो रही है। विश्वविद्यालय प्रशासन का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराया था।

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