पीजी ऑनलाइन एडमिशन का सिस्टम निजी एजेंसी के हवाले, डाटा बेस तैयार नहीं होने का नतीजा
पंद्रह मई के बाद होगा नामांकन। कॉलेजों में सीट निर्धारण में अब भी माथा पच्ची जारी। कई कॉलेजों में मानक निर्धारण के बावजूद सीटें हो रही अधिक।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। बीआरए बिहार विश्वविद्यालय में ऑनलाइन एडमिशन का सिस्टम निजी एजेंसी के हवाले होगा। इसकी वजह एडमिशन का डाटा बेस तैयार नहीं हो पाना बताया गया है। उधर, कॉलेजों में पीजी कक्षाओं की सीटों के निर्धारण में पेच फंसा हुआ है। राजभवन ने ऑनलाइन एडमिशन का सॉफ्टवेयर तो बीआरए बिहार विश्वविद्यालय को दे दिया है। लेकिन, विश्वविद्यालय के पास डाटा बेस ही नहीं तैयार है। यानी बंदूक तो है लेकिन, गोली नहीं है। ऐसे में बंदूक कैसे चलेगी। गोली खरीदनी पड़ेगी।
यही स्थिति विवि की हो गई है। पीजी एडमिशन के लिए आवश्यक जितना रिकार्ड का डाटा बेस बनना चाहिए, वो नहीं बन पाया है। इसके लिए एक माह पूर्व से कम से कम दो दर्जन कंप्यूटर आपरेटरों को बहाल करना चाहिए था। लेकिन, विवि ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। पिछले दिनों राजभवन के समक्ष ये बात सामने आई कि विवि द्वारा पीजी में ऑनलाइन एडमिशन का डाटा बेस तैयार नहीं है।
अब इतना समय नहीं है कि डाटा बेस तैयार करें। लिहाजा विकल्प निजी एजेंसी से राजभवन से मिले सॉफ्टवेयर में डाटा बेस डलवा कर ऑनलाइन एडमिशन शुरू कराना है। उधर, पीजी एडमिशन के लिए सीटों का निर्धारण जितना आसान फॉर्मूला शुक्रवार को लग रहा था, शनिवार की बैठक में कॉलेजों का रिकार्ड देखने में उतना ही पेचीदा साबित हुआ है। अब नामांकन की प्रक्रिया पंद्रह मई के बाद हो सकेगी।
सीटों के निर्धारण में पेच
कॉलेजों ने मनमाना सीट बढ़ाकर पिछले साल तक पीजी में विभिन्न विषयों में एडमिशन किया था। अब 2010 में सरकार के निर्देश पत्र के आलोक में भी उसका निर्धारण करने में असामनता की स्थिति पैदा हो गई है। बहरहाल, सीटों का कोटा निर्धारण करने में दो दिन का समय लगेगा। इस बारे में 10 मई तक अंतिम निर्णय होने की संभावना है।
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