अमान्य संस्था की डिग्री के आधार पर शिक्षकों की बहाली, कर दिया सप्तम वेतन का निर्धारण
सप्तम वेतन निर्धारण से संबंधित कागजात की जांच के दौरान दर्जनों मामले आए सामने, मामला सामने आने के बाद दो दर्जन से अधिक सेवापुस्तिका जब्त।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। शिक्षा विभाग का खेल भी खूब निराला है। यहा हर असंभव कार्य संभव है। यह सब व्यवस्था का दोष है। ऐसा ही एक मामला जिले में सामने आया है। जिले में अमान्य संस्था के डिग्री के आधार पर कार्यरत शिक्षकों के सप्तम वेतन तक का निर्धारण कर दिया गया है। इतना ही नहीं इस कार्य में डीपीओ के फर्जी हस्ताक्षर भी किए गए। व्यापक स्तर पर किए गए इस गड़बड़ी को विभाग के स्थापना डीपीओ कार्यालय के ही एक लिपिक ने पकड़ा है। मामला सामने आने के बाद ऐसे करीब दो दर्जन से अधिक सेवापुस्तिका जब्त की गई है। पूरा मामला सामने आने के बाद कार्यालय में हड़कंप मच गया।
कागजात की जांच के लिए गठित की गई थी टीम
बताया गया कि जिला शिक्षा अधिकारी ने सप्तम वेतन निर्धारण से संबंधित कागजात की जांच को लेकर टीम गठित की थी। जिसमें अमरेन्द्र कुमार सिंह, हरि किशोर हरि, राकेश कुमार, इन्द्रमोहन प्रसाद सिंह, बसंत कुमार, संजय कुमार वन, संजय कुमार टू, नरेन्द्र चौधरी, विनय कुमार सिंह, मुरारी दास, कौशल किशोर, नरेन्द्र कुमार आदि शामिल थे। टीम के सदस्यों को सप्तम वेतन निर्धारण प्रपत्र की गहराई से जांच करनी थी। इसमें से अधिकांश ने सप्तम वेतन निर्धारण की प्रक्रिया पूरी कर सेवापुस्तिका व अन्य कागजात बीईओ को उपलब्ध करा दिया। लेकिन डीपीओ स्थापना कार्यालय में कागजात जांच के दौरान एक लिपिक ने की गई गड़बडिय़ों को पकड़ लिया।
संदेह के घेरे में बीईओ व लिपिकों की भूमिका
मामला सामने आने पर अमान्य व फर्जी शिक्षकों के वेतन निर्धारण में प्रख्ंाड शिक्षा अधिकारी व लिपिकों की भूमिका को लेकर सवाल उठ रहे हैं। वैसे शिक्षकों का प्रखंड शिक्षा अधिकारी ने किस परिस्थिति में सेवा पुस्तिका निर्धारण के लिए भेजा। दूसरी ओर डीपीओ स्थापना कार्यालय के अधिकांश लिपिक ने वैसे शिक्षकों का सप्तम वेतन निर्धारण कर सेवापुस्तिका व अन्य कागजात संबंधित शिक्षकों का सौंप दिया था। इस बावत जिला शिक्षा पदाधिकारी ललन प्रसाद सिंह ने कहा कि वैसे शिक्षकों की सेवापुस्तिका और उनके कागजात की जांच फिर से की जाएगी। अमान्य संस्था की डिग्री के आधार पर बहाल शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई होगी।