रक्सौल में 12 एकड़ रकबा वाले ब्रिटिशकालीन पोखर के अस्तित्व पर खतरा, अतिक्रमणकारी किनारे को भरकर कर रहे घरों का निर्माण
पूर्वी चंपारण जिले के रक्सौल का ऐतिहासिक हरनाही पोखर अतिक्रमण का शिकार होकर अपना अस्तित्व खोता जा रहा है। कभी प्रतिदिन सैकड़ों नर-नारी इसमें स्नान कर इसके किनारे बने शिवालय में करते थे पूजा-अर्चना। अतिक्रमण के कारण इसके किनारे लगने वाला मेला भी अब अन्यत्र आयोजित होता है।
रक्सौल (पूचं), [नूतनचंद्र त्रिवेदी]। जलस्रोतों के संरक्षण को लेकर सरकार कटिबद्ध है। इनको सुरक्षित रखने के लिए सरकार के निर्देश पर सर्वे कार्य शुरू किया गया। बीते वर्ष के अंत तक सभी पोखर को अतिक्रमण मुक्त करने की भी योजना थी। लेकिन सरकार के अतिक्रमण हटाने के आदेश की फाइलें कार्यालयों में धूल फांक रही हैं। हरनाही पंचायत अंतर्गत हरनाही गांव स्थित ब्रिटिशकरलीन ऐतिहासिक हरनाही पोखर भी अतिक्रमण का शिकार होकर अपना अस्तित्व खोता जा रहा है।
पोखरे के किनारे को भरकर घरों का निर्माण
इस ऐतिहासिक पोखर के अतिक्रमण का ही दुष्परिणाम है कि ब्रिटिश हुकूमत के समय से इसके किनारे आयोजित होने वाला ऐतिहासिक मेला अब दूसरी जगह आयोजित होता है। अतिक्रमणकारी पोखरे के किनारे को भरकर घरों का निर्माण कर रहे हैं। इसकी सुधि लेने वाला कोई नहींं है। इसको लेकर स्थानीय बुद्धिजीवियों में प्रशासन के विरुद्ध आक्रोश भी व्याप्त है।
आस्था का केंद्र रहा है यह पोखर
जानकार बताते हैं कि ब्रिटिश काल में इस पोखर के किनारे एक शिव मंदिर का निर्माण हुआ था। मंदिर में पूजा के लिए आने वाले लोग पहले इस पोखर मे स्नान करते थे। प्रतिदिन यहां सैकड़ों की संख्या में लोग स्नान करते थे। इसके किनारे लोग श्राद्ध कर्म का भी आयोजन करते थे।
अतिक्रमण का दौर जारी
प्रशासन की उदासीनता के कारण अतिक्रमण का दौर जारी है। मंदिर जमींदोज हो चुका है। सरकार ने पोखर के किनारे की जमीन पर बाजार लगाने के लिए एक शेड का निर्माण कराया है।
अंग्रेज यहां करते थे आराम
बुजुर्ग बताते है कि हरदिया कोठी में ब्रिटिश हुकूमत का कार्यालय था। यहां के अधिकारी क्षेत्र भ्रमण के दौरान हरनाही पोखर पहुंचते थे, जिसके किनारे छायादार व फलदार पेड लगाए गए थे। इन पेड़ों की छाया में वे आराम फरमाते थे।
अस्तित्व खोने की आशंका
इस पोखरा का रकबा लगभग 12 एकड़ है, जो अतिक्रमण के कारण सिमटकर छोटा होता जा रहा है। प्रशासन की अतिक्रमण की ओर अनदेखी बरकरार रही तो यह पोखर अपना अस्तित्व खो देगा। हालांकि अंचलाधिकारी विजय कुमार आश्वासन देते हैं कि जलस्रोतों के संरक्षण अभियान के तहत इस पोखर के किनारे के अतिक्रमण को हटाया जाएगा।