Move to Jagran APP

इतिहास में दफन हो गया रक्सौल दूरदर्शन केंद्र, किराया बना केंद्र के हटने का कारण

अधूरी रह गई भारतीय सभ्यता- संस्कृति से ओत-प्रोत लोक कला संस्कृति मनोरंजन कार्यक्रम की पहचान कराने की योजना। दूरदर्शन केंद्र के हटने पर जिला परिषद बना रहा भाड़े के लिए कमरे।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 06 Jun 2019 05:40 PM (IST)Updated: Thu, 06 Jun 2019 05:40 PM (IST)
इतिहास में दफन हो गया रक्सौल दूरदर्शन केंद्र, किराया बना केंद्र के हटने का कारण
इतिहास में दफन हो गया रक्सौल दूरदर्शन केंद्र, किराया बना केंद्र के हटने का कारण

पूर्वी चंपारण, जेएनएन। रक्सौल शहर के नागा रोड मुहाने पर दूरदर्शन केंद्र का अपना स्टुडियो होता। जहां से लोकल कलाकार अपनी कला की प्रस्तुति करते। रक्सौल शहर के साथ-साथ आसपास के इलाकों में आयोजित होनेवाले कार्यक्रमों का प्रसारण इस केंद्र से होने की योजना थी। जो साकार नहीं हो सका। इस केंद्र के माध्यम से प्रसारित करने का सपना संजोए दूरदर्शन केंद्र अब इतिहास में दफन हो गया।

prime article banner

 भारत-नेपाल सीमा पर अवस्थित होने के कारण तत्कालीन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी ने इस केंद्र के विस्तार व आधुनिकीकरण करने की घोषणा की थी। लेकिन, सरकार के उदासीन रवैये के कारण यह केंद्र लोगों की उम्मीदों पर पानी फेरने के साथ रक्सौल से हमेशा के लिए अलविदा हो गया।

किराया बना केंद्र के हटने का कारण

इस केंद्र के हटने का मुख्य कारण किराया बताया जाता है। जिला परिषद व डीडीसी ने किराया बढ़ाने को लेकर कई बार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय भारत सरकार को पत्र लिखा था। जिसमें बताया गया था कि शहर की महता व कीमती जमीन होने के कारण इस जमीन का किराया  प्रति माह दो लाख 45 हजार चाहिए। अन्यथा खाली किया जाए। पत्र के जबाव में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने असमर्थता जताई। इसके बाद मंत्रालय को जिला परिषद ने केंद्र को हटाने के लिए कई बार अल्टीमेटम भेजा। किराए के तौर पर जिला परिषद को मात्र 9 हजार रुपए मासिक मिलते थे।

आधुनिकीकरण व विस्तार की थी योजना

वर्ष 1998 में प्रसार भारती ने केंद्र के विस्तार व आधुनिकीकरण की घोषणा की थी। इसके तहत क्षमता को 3 सौ वाट से बढ़ाकर दस किलोवाट में विस्तृत करने की घोषणा की थी। इस पर दस करोड़ रूपये खर्च किए जाने को थे। इस केंद्र के लिए तीन एकड़ भूमि की आवश्यकता थी। इस केंद्र से डीडी 2 का भी प्रसारण करने की योजना थी। प्रशासन की उदासीनता व निष्क्रियता के कारण भूमि उपलब्ध नहीं हो सकी। जिसके कारण यह परियोजना दूसरे जगह के केंद्र में मर्ज हो गई।

 अगर भूमि उपलब्ध हो गई होती तो इस केन्द्र का प्रसारण रेंज 15 से बढ़कर 120 किलोमीटर होता। केन्द्र के हटने से भारत-नेपाल सीमा के क्षेत्रों मे भारतीय सभ्यता- संस्कृति से ओत-प्रोत लोक कला , संस्कृति, मनोरंजन कार्यक्रम की पहचान नहीं मिल सका। वहीं तत्कालीन सहायक अभियंता अदया प्रसाद भारतीय सीमा क्षेत्र में बढ़ते नेपाली एफएम एवं टीवी चैनल के प्रभाव व राजस्व क्षति के प्रति पत्र लिखकर सरकार व प्रशासन को अलर्ट किया था।

कहते है लोग

 दूरदर्शन केंद्र के हटने पर शहर के अवकाश प्राप्त शिक्षक लक्ष्मी प्रसाद, गोपालजी सर्राफ, उद्योगपति महेश अग्रवाल सहित अन्य लोगों ने कहा कि यह केंद्र शहर के धरोहर के रूप में था। जिला परिषद व प्रशासन के असहयोगात्मक रवैये के कारण यह स्टेशन यहां से स्थानांतरित हो गया।

कहते है सहायक अभियंता

केंद्र के सहायक अभियंता अमजद अली का कहना है कि इस केंद्र के हटने के दो कारण है। एक किराया व दूसरा अपनी भूमि नहीं होना था। दोनों कारणों से केन्द्र ने लोगों के सपनों पर पानी फेर दिया। 

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.