रामपुनीत के प्रयास से पूरे राज्य में खोजे जा रहे तालाब और कुएं Samastipur News
उजियारपुर के अधिवक्ता की जनहित याचिका पर उच्च न्यायालय ने अतिक्रमण मुक्त कराने का दिया था आदेश। पहले सरकार को लिखा पत्र सुनवाई नहीं हुई तो सूचना का अधिकार के तहत मांगी थी जानकारी।
समस्तीपुर, [मुकेश कुमार]। जल रहेगा तो कल बचेगा। यह बात सभी जानते, लेकिन इसे बचाने का प्रयास कम ही करते हैं। जलस्रोतों पर ध्यान नहीं देते। यही कारण है कि जलस्तर तेजी से नीचे जा रहा। पेयजल के लिए मारामारी हो रही। आगे समस्या और गंभीर न हो, इसे देखते हुए उजियारपुर के रामपुनीत चौधरी पिछले 11 साल से तालाबों और कुओं को बचाने में लगे हैं। उनके प्रयास के चलते उच्च न्यायालय के आदेश पर हाल ही में प्रदेश सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को अतिक्रमित तालाब और कुएं खोजने के निर्देश दिए हैं।
जल संरक्षण व जलस्रोतों को जिंदा रखने में जुटे उजियारपुर प्रखंड के चांदचौर मथुरापुर निवासी अधिवक्ता रामपुनीत ने सबसे पहले सूबे के सभी जिलों के तालाब और कुओं को लेकर सरकार को पत्र लिखा। सुनवाई नहीं हुई तो वर्ष 2008 में सूचना का अधिकार के तहत सभी जिलों से जानकारी मांगी। इसमें अधिकारियोंं ने बहुत सहयोग नहीं किया तो राज्य सूचना आयोग में अपील की। इस पर सूचना आयुक्त ने राज्य सरकार को सूचना उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। 2015 में सभी जिलों से तालाबों और कुओं की सूची मिली। इसके अध्ययन से पता चला कि अधिकतर अतिक्रमण के शिकार हैं। इससे एहसास हुआ कि इन्हें बिना अतिक्रमणमुक्त कराए जल संचयन मुश्किल है। उन्होंने मुख्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री को तालाबों व कुओं को अतिक्रमणमुक्त कराने के लिए पत्र लिखा। लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं होने पर पटना उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की। इस परउच्च न्यायालय ने वर्ष 2016 में अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश दिया।
मौन धरना देकर कहते बड़ी बात
रामपुनीत जल संरक्षण को लेकर लोगों को जागरूक करते रहते हैं। इसके लिए उन्होंने अखिल भारतीय जल योद्धा संग्राम समिति बनाई है। इसके जरिए समय-समय पर अभियान चलाते हैं। वर्ष 2016 एवं 2017 में झारखंड के धनबाद जिले में मौन धरना दिया था। इसका नारा था 'जल, जंगल, जलस्रोत बचाएं, धरती को खुशहाल बनाएं'। बीते छह अगस्त को उन्होंने उजियारपुर प्रखंड कार्यालय के समक्ष मौन धरना दिया था। उनका कहना है कि पेयजल की जिस तरह से किल्लत सामने आ रही। जलस्तर नीचे जा रहा। इसके लिए जरूरी है कि तालाबों और कुओं को बचाया जाए।
उनके अभियान में जुड़े पूर्व विधायक दुर्गा प्रसाद सिंह और रामलोचन चौधरी का कहना है कि जल के बिना पेड़-पौधों की कल्पना नहीं की जा सकती। इसके लिए लोगों को खुद जागरूक होना होगा। पेयजल बचाने पर काम करना होगा।