राजभवन की समिति ने माना, कॉलेजों की लैब काम की नहीं
उच्चस्तरीय समिति ने हफ्तेभर में सौंप दी अपनी रिपोर्ट, अपग्रेडेशन की बताई आवश्यकता। लैब दुरुस्त कराने के लिए शिक्षा विभाग से मांगा जाएगा फंड का आवंटन।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। स्नातक स्तरीय कॉलेजों में प्रयोगशाला अत्यंत खस्ताहाल में हैं और उनको अविलंब दुरुस्त कराने की जरूरत है। राजभवन द्वारा गठित उच्चस्तरीय कमेटी ने ये सिफारिश की है। पटना यूनिवर्सिटी के प्रोवीसी की अध्यक्षता वाली 10 सदस्यीय समिति ने नए सिरे से प्रयोगशाला को अपग्रेड करने की जरूरत बताई है। इसके लिए फंड आवंटन के लिए शिक्षा विभाग को पत्र भेजा जाएगा। बहरहाल, लंबे अरसे बाद उच्च शिक्षण संस्थानों में प्रायोगिक कक्षाओं का सुचारू व नियमित संचालन संभव होता दिखाई दे रहा है।
इससे नवीन शोधों का मार्ग प्रशस्त होगा। कमेटी ने समीक्षा में पाया है कि विज्ञान या सामाजिक विज्ञान के विषयों से जुड़े विश्वविद्यालयों व कॉलेजों की प्रयोगशाला की स्थिति संतोषजनक नहीं है। विवि में भौतिकी, रसायन, जूलॉजी, बॉटनी, भूगोल या मनोविज्ञान से जुड़ी प्रयोगशालाएं आधुनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए अविलंब ठोस कदम उठाए जाने चाहिए। तमाम प्रयोगशालाओं का आधुनिकीकरण व विकास चरणबद्ध तरीके से करने पर बल दिया है।
कमेटी ने हफ्तेभर में सौंप दी रिपोर्ट
राजभवन द्वारा गठित कमेटी ने इस काम को प्राथमिकता देते हुए महज हफ्तेभर में अपनी रिपोर्ट सौंप दी। 4 दिसंबर को समिति गठित हुई थी और 10 दिसंबर होते-होते प्रयोगशाला की मौजूदा स्थितियों पर रिपोर्ट राजभवन को हस्तगत हो गई। कमेटी में विभिन्न विभागों के दस शिक्षकों ने मिलकर अपनी रिपोर्ट दी है। कॉलेजों में प्रयोगशाला की बदहाली चिंता का सबब बनी थी। चौतरफा दबाव के बाद शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर इसकी समीक्षा कराकर आवश्यक कार्रवाई के लिए कमेटी गठित की गई थी।
प्रैक्टिकल होता नहीं और मिल जाते नंबर
कॉलेजों में प्रायोगिक कक्षा भगवान भरोसे हैं। कहीं डेमोस्ट्रेटर नहीं तो कहीं प्रयोगशाला सहायक नहीं हैं। ऐसे में प्रायोगिक कक्षाएं कैसे चलती रही हैं, यह बताने की जरूरत नहीं। स्नातक स्तर की पढ़ाई वाले कॉलेजों में प्रीमियर कॉलेजों में भी कमोवेश एक-सा हाल है। प्रयोगशाला के उपकरण धूल फांक रहे हैं। अन्य संसाधनों का भी अभाव है। कई विषयों में शिक्षक व प्रयोगशाला सहायक भी नहीं हैं। थ्योरी की पढ़ाई बिना शिक्षक के हो रही है। लैब ब्वॉय व डेमोस्ट्रेटर के पद खाली हैं। जो रिटायर हो गए उनकी जगह बहाली भी नहीं हुई। जाहिर है ऐसे में प्रायोगिक विषयों की पढ़ाई का महज कोरम पूरा हो रहा है।