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'धर्म संसद' की प्रासंगिकता और उपयोगिता पर उठने लगे सवाल, जानिए वजह... Muzaffarpur News

शहर के विद्वान पंडितों ने दिसंबर में चाणक्य विद्यापति सोसायटी की ओर से होने जा रहे धर्म संसद का किया बहिष्कार।

By Ajit KumarEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 09:29 PM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 09:29 PM (IST)
'धर्म संसद' की प्रासंगिकता और उपयोगिता पर उठने लगे सवाल, जानिए वजह... Muzaffarpur News
'धर्म संसद' की प्रासंगिकता और उपयोगिता पर उठने लगे सवाल, जानिए वजह... Muzaffarpur News

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। पिछले दिनों जीउतिया व्रत को लेकर पंचांगकारों व पंडितों के मतांतर के बाद इस बार चाणक्य विद्यापति सोसायटी की ओर से दिसंबर में होने जा रहे 'धर्म संसदÓ की प्रासंगिकता व उपयोगिता पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। लोगों का कहना है कि 'आखिर धर्म-संसद का आयोजन क्यों ?Ó जब पर्वों की एकरूपता का समय आवे तो सब लोग मौन धारण कर लेते हैं। जगह-जगह पंडितों की बैठक बुलाकर निर्णय लेना पड़ता है।

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 पंडित कमलापति त्रिपाठी 'प्रमोद' ने भी इस वर्ष बुलाए जा रहे धर्म संसद का बहिष्कार किया है। बताते हैं कि पिछले दिनों जीवत्पुत्रिका व्रत को लेकर आए मतांतर के कारण उन्हें एक दिन पूर्व विद्वानों की सभा बुलानी पड़ी। सभी विद्वतजनों ने व्रत को लेकर निर्णय किया। बावजूद दो दिन व्रत हुआ। फिर किस बात का धर्म संसद? बताया कि सबका धर्म है कि जब पर्वों की एकरूपता नहीं बन रही हो, तो सब मिलकर उसे एक दिन करने और कराने का प्रयास करें, जो नहीं हो पाया। पर्वों को एक दिन करने और कराने के लिये अनुकूल वातावरण बनावे, पर ऐसा हो नहीं रहा।

 आचार्य सुनेता तिवारी, आचार्य पंउित प्रभात मिश्र, आचार्य पं.अभिनय पाठक, आचार्य बृजेन्द्र ओझा, आचार्य सुनील पांडेय, आचार्य दिवाकर उपाध्याय, आचार्य रंजीत तिवारी, आचार्य प्रमोद ओझा, आचार्य धर्मेंद्र तिवारी, आचार्य नकुल ओझा, आचार्य धर्मेंद्र चतुर्वेदी, आचार्य आशुतोष ओझा, आचार्य रंजीत मिश्रा आदि पंडितों ने भी धर्म संसद का बहिष्कार किया है। कहा कि सर्वप्रथम 'धर्म-संसदÓ का प्रारूप और उसका दायित्व बोध क्या होना चाहिए' इस पर सर्वसम्मति से विचार किया जाए।


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