संपत्ति के लिए मृतक का भतीजा जबरन करना चाह रहा था श्राद्ध, इस तरह पत्नी को श्राद्ध का अधिकार
आरंभिक संघर्ष के बाद आखिरकार पत्नी को श्राद्ध करने का हक मिल गया। इस मामले में ग्रामीणों के साथ पुलिस ने भी उनकी खूब मदद की।
मुजफ्फरपुर, जेएनएन। आखिरकार पत्नी को उसका हक मिल ही गया। इस मामले में ग्रामीणों के साथ पुलिस ने भी उसकी मदद की। ग्रामीणों व जैतपुर पुलिस की मदद से बुधवार को पोखरैरा निवासी आशा देवी ने अपने पति महेश प्रसाद साह का श्राद्धकर्म संपन्न किया। वहीं, संपत्ति के लिए मृतक का जबरन श्राद्ध करने पर उतारू उसके भतीजे गौतम साह ने पुलिस के समक्ष अपनी गलती स्वीकार कर ली।
लंबे समय से टायफाइड से पीड़ित थे
बता दें कि पोखरैरा निवासी स्व. रामरीझान साह के सबसे छोटे पुत्र महेश प्रसाद साह का 18 अप्रैल 2020 को छपरा जिले के ईशुआपुर में निधन हो गया था। खोभारी साह उच्च विद्यालय ईशुआपुर, छपरा में आदेशपाल पद पर कार्यरत महेश साह लंबे समय से टायफाइड से पीड़ित थे। उनकी कोई संतान नहीं है। आशा देवी ने बताया कि लॉकडाउन में अपने मायके हाजीपुर में फंस गई थी। इसी बीच पति के निधन की सूचना मिली तो गाड़ी़ और पास का इंतजाम करके ईशुआपुर पहुंची। यहां पता चला कि उसके पति का भतीजा गौतम साह लाश को ठिकाने लगा कर पोखरैरा लौट गया है। उसके आग्रह पर 28 अप्रैल को आरपीएस हाईस्कूल पोखरैरा में ग्रामीणों की बैठक हुई।
चाचा का श्राद्ध करने का हक चाची को ही
बैठक में पूर्व मुखिया अजय शकर नारायण, पूर्व मुखिया प्रेम कुमार गुप्ता, हेमंत कुमार, रालोसपा नेता प्रकाश सिंह, मुखिया विश्वनाथ दास, सरपंच लखेन्द्र पासवान, पैक्स अध्यक्ष राजन सिंह आदि के अलावा जैतपुर पुलिस भी उपस्थित थे। उसने पुलिस से इस मामले की लिखित शिकायत की। पुलिस जब पूछताछ करने गौतम साह के घर पहुंची तो वह छिप गया। दूसरे दिन 29 अप्रैल को ओपी प्रभारी शशिभूषण सिंह गौतम के घर पहुंचे। उन्होंने जब पूछताछ की तो उसने अपनी गलती मान ली। उसने कहा कि चाचा का श्राद्ध करने का हक चाची को ही है। वह लालच में चाची को इस हक से वंचित करना चाह रहा था। जदयू नेत्री और प्रखंड प्रमुख संघ की जिलाध्यक्ष कंचनमाला ने इसे नारी शक्ति की जीत बताया है।