सामाजिक, राजनीतिक व नैतिक मूल्यों की रक्षा ही बड़ा मुद्दा
ट्रेन के इंतजार में खड़े लोग और स्टेशन के बाहर सजीं दुकानें। चाय की चुस्की ले रहे लोग इस बार के चुनाव में मुद्दों की मुनादी कर रहे।
पश्चिम चंपारण, [संजय कुमार उपाध्याय]। बापूधाम स्टेशन के प्रवेश द्वार पर सत्याग्रह आंदोलन के 102वें वर्ष में बुत बन साबूत खड़े बा और बापू। बापू के राजनीतिक संदेश की जीवंत प्रस्तुति और शान से लहराता 100 फीट ऊंचा ध्वज। यहीं खड़े पांच लोग...नए और पुराने समीकरणों की रस्साकसी के बीच लोकसभा चुनाव पर मंथन।
बापूधाम स्टेशन से होकर चंपारण के तीन लोकसभा क्षेत्रों को जोडऩेवाली रेलगाडिय़ां चलतीं।
पूर्वी और पश्चिमी चंपारण के अलावा वाल्मीकिनगर। ट्रेन के इंतजार में खड़े लोग और स्टेशन के बाहर सजीं दुकानें। चाय की चुस्की ले रहे लोग इस बार के चुनाव में मुद्दों की मुनादी कर रहे। शिक्षाऔर रोजगार के साथ सामाजिक, राजनीतिक व नैतिक मूल्यों की रक्षा की बेबाक चर्चा।
देशहित में विकास का खाका खींचना जरूरी
स्टेशन के प्रवेश द्वार पर रहमान जनरल स्टोर। खुदानगर निवासी मो. सरफराज हल्की मुस्कान लिए ग्राहकों के इंतजार में खड़े हैं। दो-चार युवा पहुंचते। सबके हाथों में चाय की प्याली। हम भी यहीं खड़े हैं। सरफराज कहते-आर्थिक ताना-बाना मजबूत नहीं था, सो लग गए अब्बा के संग कामकाज में। रही बात व्यवसाय की, तो ट्रेन चली तो दुकान खुली, वरना बंद ही समझिए।
कहते हैं कि आज जरूरत ऐसे नेता की है, जो समाज के अंतिम आदमी को केंद्र में रखकर विकास का खाका खींचे। यहां तो ट्रेनों की संख्या बढ़ी नहीं। पोरबंदर दो महीने से नहीं चल रही। सप्ताह में एक दिन मिथिला रद।
सरफराज से बातें हो रही थीं कि सुगौली के चार युवक राजेश, संजय, विजय और संजीत आते हैं। कहते हैं, देश की रहनुमाई करनेवालों को पहले सामाजिक और आर्थिक ढांचों पर विचार करना होगा।
राजनीतिक मूल्यों की रक्षा करनी होगी, तब जाकर देश का पूरा विकास संभव है। इतने में बेतिया और वाल्मीकिनगर लोकसभा को कनेक्ट करनेवाली ट्रेन अवध एक्सप्रेस के आने की सूचना मिलती है। प्लेटफार्म पर पहुंचने के साथ यात्रियों की भीड़ में किशोर और युवा राजस्थान के कोटा और अन्य जगह जाने की तैयारी में हैं। ट्रेन लगी और उनकी टोली एसी सहित अन्य डिब्बों की ओर लपकती है।
डिब्बे में मुलाकात होती है राजस्थान के वनस्थली विद्यापीठ में प्लस टू की छात्रा आकांक्षा से। साथ में पिता रेलकर्मी राजीव कुमार। बात शिक्षा की हुई तो आकांक्षा ने कहा, कॉमर्स की स्टूडेंट हूं। वहां माहौल मिला है। पिता राजीव कहने लगे, गर्ल्स चाइल्ड के लिए माहौल चाहिए। मतलब साफ है, चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों के साथ स्थानीय भी अहम होंगे।
पश्चिमी चंपारण को विकास की भूख
मोतिहारी के बाद पश्चिमी चंपारण लोकसभा क्षेत्र शुरू होता है। ट्रेन की जनरल बोगी में गोरखपुर के लिए बैठे हैं रामगढ़वा के अमित कुमार। बात छेड़ी तो शुरू हो गए-अरे साहब! क्या पूछते हैं? हमारी किस्मत में वोट देना ही लिखा है। उम्मीद तो हमारे पूर्वज भी लगाए थे... पानी फिर गया। अब जाकर बुनियादी सुविधाएं मिली हैं। बेतिया में मेडिकल कॉलेज खुल गया तो मोतिहारी में केंद्रीय विश्वविद्यालय।
भाई, व्यवस्था ऐसी हो कि गरीब के बच्चे भी लिख-पढ़ सकें। सुगौली स्टेशन पर ट्रेन रुकी तो खोमचा लिए खिड़की पर नजर आए-श्रीपुर के राजेश। चना बेच रहे थे। यात्रियों की भीड़ चुनावी चर्चा में मगन। राजेश बीच में टपक पड़ते, भाईजी, जिस तरह हम-आप मेहनत कर रहे, उसी तरह हमारे नेता लोग करें, तब बात बनेगी।
गरीबों के बच्चों को शिक्षा मिले यह जरूरी
बातों-बातों में ट्रेन नरकटियागंज जंक्शन पर पहुंच गई। स्टेशन देखने की चाह लिए हम उतरते हैं। पता चला, स्टेशन के पास स्थापना से लेकर अबतक प्रवेश और निकास द्वार बना ही नहीं। हालांकि, अब काम शुरू हो गया है। यह बन जाए तो जंक्शन के दामन से दाग मिट जाए कि यात्री लाइन पार कर आते-जाते हैं। जंक्शन के दक्षिणी दिशा में हरदिया चौक से मुख्य बाजार को जोडऩेवाली (एलएसटी) सड़क को स्टेशन से जोड़ते हुए एक प्रवेश और निकास द्वार बनाया जा रहा।
नरकटियागंज के सौरभ मिश्र कहते हैं, 1905 के करीब जंक्शन बना। अब जाकर ओवरब्रिज बना और द्वार बन रहा। ट्रेन में सवार सेमरा के मुकेश जायसवाल अखबार बांटते हैं। कहते हैं, बुनियादी चीजें हो जाएं... इतने से किसका काम चलता है। रोजगार हो, गरीबों के बच्चों को शिक्षा मिले। बगहा के ब्रजेश कुमार व्यवसाय करते हैं। कहते हैं कि चुनावी समर में कुछ योद्धा दिख गए, कुछ को देखना बाकी। लेकिन, इस बार के चुनाव में अहम है-विकास का मुद्दा और राष्ट्रहित।
क्षेत्रवाद, नए-पुराने समीकरण और चेहरे भी देखने होंगे। चंपारण की जनता ने सत्याग्रह आंदोलन को सफल बनाया था। ऐसे में यहां की जनता का मन न टटोलिए...सब ठीक होगा, अच्छा होगा। बगहा से पहले मिले रामगनगर के हरेंद्र पांडेय की बातों में दम है। हमारे लिए बगहा से रामनगर की राह ट्रेन आसान करती है। लेकिन, इस रेलखंड पर आज की तिथि में मात्र एक जोड़ी ट्रेन चल रही है। अब से पहले इनकी संख्या-छह जोड़ी थी। अब आप अंदाज लगा लीजिए, हमारा कितना विकास हुआ है।