एक हजार से अधिक गरीब राशन-केरोसिन से वंचित
मैं बंदरा प्रखंड की बड़गाव पंचायत बोल रही हूं।
मुजफ्फरपुर। मैं बंदरा प्रखंड की बड़गाव पंचायत बोल रही हूं। मेरी गोद में 14 वार्ड व आठ राजस्व ग्राम बड़गाव, बगाही, जरंगी, करैला, बलहिया, विशनपुर, पचरूखी और फतुउल़लाहपुर हैं। मुझे आशा थी कि पंचायती राज में मेरा कायाकल्प होगा और आदर्श पंचायत बनने का मौका मिलेगा, लेकिन यह सपना ही रह गया। पंचायत में 1000 से अधिक गरीबों को राशन कार्ड नहीं है जिस कारण वे राशन-केरोसिन से वंचित हैं। वंचित लोगों ने आवेदन आरटीपीएस के माध्यम से जमा कराया था। संबंधित पंचायत सेवक को जाच करने का आदेश दिया गया। जाच भी हुई, लेकिन परिणाम शून्य रहा। पंचायत का कोई ऐसा जनप्रतिनिधि नहीं जो मुझे विकास का राह दिखाता। आज सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, वृद्धा पेंशन, प्रधानमंत्री आवास, नल जल योजना, सिंचाई, जनवितरण प्रणाली, बिजली, पशुपालन समेत विभिन्न समस्याओं से त्रस्त हूं। कई सड़कों की सोलिंग कराई गई, लेकिन 10 कच्ची सड़क अभी भी शेष है। 24 सड़कें सोलिंग है जिसमें एक दर्जन की स्थिति जर्जर एवं गढ्डे में तब्दील हो चुका है। वार्ड पांच के अधिकतर परिवार टेलीबाध किनारे बसे हैं। इस बस्ती में जाने के लिए एकमात्र कच्ची सड़क है। कालीकरण सड़कों की संख्या मात्र दो है। स्वास्थ्य केंद्र विशुनपुर में है जो सप्ताह में दो दिन ही खुलता है। दूसरा नवसृजित उप स्वास्थ्य केंद्र बड़गाव में है लेकिन भवन नहीं होने के कारण चलंत स्वास्थ्य केंद्र बनकर रह गया है। वर्तमान समय में लोगों को बेहतर इलाज के लिए मुजफ्फरपुर, दरभंगा लहेरियासराय, सकरा, मुरौल, पूसा जाना पड़ता है। बिजली अब हर घर में उपलब्ध है। लेकिन हमेशा समय पर बिजली की आख मिचौली से उपभोक्ता परेशान हैं। समय से बिल नहीं दिया जाता है। इस पंचायत में सात महादलित बस्ती हैं। लोग चार पीढ़ी से पगडंडी से ही आते-जाते हैं। सड़क नहीं होने के कारण पर्व-त्यौहारों तथा लग्न के समय दूल्हा व दुल्हन को भी पैदल आना-जाना पड़ता है। उच्च विद्यालय का मामला अधर में लटका है। बगाही और विशनुपुर मेहसी दो विद्यालय के बीच मामला फंसा हुआ है। मध्य विद्यालय चार व प्राथमिक विद्यालय 5 है। विद्यालयों में शिक्षा में सुधार की जरूरत है। अधिकतर विद्यालय में संस्कृत, विज्ञान, गणित एवं अंग्रेजी विषयों की पढ़ाई शिक्षकों के अभाव में नहीं हो रही है। किसानों को अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। उत्तम खाद- बीज से लेकर पटवन की समस्याओं से किसान जूझ रहा है। करेला गाव में 1965 में सरकारी नलकूप लगाया गया था। साथ ही नाला निर्माण भी हुआ है लेकिन अब नाला पूर्ण रूप से ध्वस्त हो चुका है। नतीजतन अधिकतर किसान निजी पंपसेट के सहारे फसलों की सिंचाई कर रहे हैं। पशुपालकों के पशुओं के इलाज की व्यवस्था नहीं है। बीमार पशुओ के इलाज के लिए ग्रामीण चिकित्सक को बुलाया जाता है। आजादी से लेकर आजतक मवेशी उप स्वास्थ्य केंद्र नहीं खोला जा सका। हां, वर्ष में एक बार पशुओं का टीकाकरण अभियान जरूर चलाया जाता है।
चौपाल में उपस्थित ग्रामीण मुकेश ओझा, अजीत साह, संजय कुमार, राम इकबाल साह, मो. इशाक, लालबाबू मांझी गोनौर साह, बैजनाथ शाह, राजकुमार कन्हैया, श्याम किशोर मिश्र, विनोद मांझी, अनिल साह, दिनेश महतो, नरेश माझी, रामेश्वर ओझा, सुखिया देवी, सुमित्रा देवी , सरस्वती देवी, सुमित्रा देवी, जय सुंदरी देवी, शिवनारायण साह, लाल बहादुर साह, शकर माझी, विनोद मांझी, सटहु मांझी, सुमन ओझा, सुनील राय,
पंचायत एक नजर में
राजस्व गाव--- 8
वार्ड---14 ,
आवादी ---14 हजार
मतदाता --8500,
सड़क कच्ची 10,
पगडंडी 7,
ईट सोलिंग 24
कालीकरण 2,
पीसीसी सड़क 8 अपूर्ण। शौचालय, पेयजल, शिक्षा, स्वास्थ्य समेत विभिन्न योजनाएं चलाई जा रही हैं। हम गरीबों को अधिकार दिलाने के लिए संघर्षरत हैं। प्रधानमंत्री आवास , विधवा पेंशन, राशन कार्ड समेत विभिन्न लाभकारी योजनाओं में आज भी गरीब वंचित हैं। उन्हें अधिकार दिलाने का काम पूरा करने का संकल्प ले चुका हूं। जनता के साथ जनप्रतिनिधियों से सहयोग की प्रार्थना करता हूं। शौचालय हर घर पहुंचाने में वार्ड सदस्यों को भी सहयोग कर रहा हूं।
शंभू साह, मुखिया